Shukrataare ke Saman By Avinash Ranjan Gupta
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मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक—दो पंक्तियों में दीजिए-
1 - महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में
देते थे?
2 - ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों
की कमी क्यों रहने लगी थी?
3 - गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय
किया?
4 - गांधीजी से मिलने से
पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?
5 - महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता
था?
6 - महादेव भाई ने गांधीजी
की कौन—सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?
7 - अहमदाबाद से कौन—से दो साप्ताहिक निकलते थे?
8 - महादेव भाई दिन में कितनी
देर काम करते थे?
9 - महादेव भाई से गांधीजी की निकटता किस
वाक्य से सिद्ध होती है?
1.
महादेव भाई मित्रों के बीच अपने को गांधीजी का ‘हम्माल’ और कभी-कभी अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची –भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे ।
2.
‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों
की कमी रहने लगी थी क्योंकि ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लिखने
वाले मुख्य लेखक ‘हार्नीमैन’ गांधीजी का अनुयायी बन गया था जिसके कारण उसे देश निकाले की सज़ा देकर इंग्लैंड भेज दिया गया
था।
3.
गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में यह निश्चय किया कि वे इस साप्ताहिक पत्र को हफ़्ते में दो बार प्रकाशित करेंगे
क्योंकि गांधीजी का काम इतना बढ़ गया कि साप्ताहिक पत्र भी कम पड़ने लगा था ।
4.
गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद
विभाग में नौकरी करते थे ।
5.
महादेव भाई के झोलों में मासिक पत्र, समाचार पत्र और पुस्तकें भरी रहती थीं
।
6.
महादेव भाई ने गांधीजी की आत्मकथा ‘’सत्य के प्रयोग’ प्रसिद्ध पुस्तक का अंग्रेजी
भाषा में अनुवाद किया था।
7.
अहमदाबाद से ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ दो साप्ताहिक
पत्र निकलते थे।
8.
महादेव भाई दिन में 17-18 घंटे काम किया करते थे।
9.
महादेव भाई से गांधीजी की निकटता भर्तृहरि के भजन की यह पंक्ति:
’ए रे जखम जोगे नहि जशे’ से सिद्ध होती है जिसे महादेव भाई की
मृत्यु के बाद गांधीजी हमेशा दोहराते रहे।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1 - गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?
2 - गांधीजी से मिलने आनेवालों
के लिए महादेव भाई क्या करते थे?
3 - महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?
4 - महादेव भाई की अकाल मृत्यु
का कारण क्या था?
5 - महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी क्या कहते थे?
1. सन् 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते हुए गांधीजी को पलवल
स्टेशन पर गिरफ़्तार किया गया था। गांधीजी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा
था ।
2.
गांधीजी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई उनकी बातों
की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करके उनको गांधीजी के सामने पेश करते थे और आनेवालों
के साथ उनकी रूबरू मुलाकातें भी करवाते थे ।
3. महादेव भाई ने संयुक्त रूप से टैगोर, शरदचंद्र की रचनाएँ
‘चित्रांगदा’ ‘विदाई का अभिशाप’ आदि अनुवाद किया तथा महादेव भाई ने गांधीजी की आत्मकथा ‘’सत्य के प्रयोग’ प्रसिद्ध पुस्तक
का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया था जो उस
समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन हैं।
4.
महादेव भाई वर्धा की असह्य गरमी में रोज़ सुबह पैदल चलकर
सेवाग्राम पहुँचते थे। वहाँ दिनभर काम करके शाम को वापस पैदल आते थे। जाते—आते पूरे 11 मील चलते थे। रोज़—रोज़ का यह सिलसिला लंबे समय तक चला।
कुल मिलाकर इसका जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, उनकी अकाल मृत्यु के कारणों में वह एक कारण माना जा सकता
है।
5. महादेव भाई की लेखन प्रतिभा अद्वितीय थी, उनके समान सुंदर लिखने वाला खोजने पर भी
नहीं मिलता था। अन्य की लेखनी में भूलें या
कमियाँ—खामियाँ मिल जाएँ, लेकिन महादेव की डायरी में या नोट—बही में मजाल है कि कॉमा मात्र की भी भूल मिल जाए। गांधीजी अन्य
लेखकों से कहते: महादेव के लिखे ‘नोट’ के साथ थोड़ा मिलान कर लेना था न और लोग दाँतों अँगुली दबाकर
रह जाते।
लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1 - पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?
2 - महादेव जी के किन गुणों
ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?
3 - महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?
1. पंजाब में फ़ौजी शासन ने यह कहर बरसाया
कि पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ़्तार करके
फ़ौजी कानून के तहत उम्र—कैद की सज़ाएँ देकर कालापानी भेज दिया
गया। लाहौर के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेज़ी दैनिक पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक श्री कालीनाथ राय को 10 साल की जेल की सज़ा मिली और वहाँ के बाशिंदों पर तरह-तरह के अत्याचार किए गए।
2.
महादेव गांधीजी के सहयोगी थे। महादेवजी देश—विदेश के अग्रगण्य समाचार—पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधीजी की
प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका—टिप्पणी करते रहते थे, उनको आड़े हाथों लेने वाले लेख भी समय—समय पर लिखा करते थे। महादेवजी ब्रिटिश
समाचार—पत्रों की परंपराओं को
अपनाते हुए अपने विरोधियों को शिष्टता के साथ
जवाब देते थे। इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश—विदेश के सारे समाचार—पत्रों की दुनिया में और एंग्लो—इंडियन समाचार—पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से
एम -डी - को सबका लाड़ला बना दिया था।
3.
महादेवजी की लिखावट बहुत सुंदर थी। पूरे भारतवर्ष में उनका कोई सानी नहीं था। वाइसराय
के नाम जाने वाले गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे। उन पत्रों को
देख—देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय
लंबी साँस—उसाँस लेते रहते थे। वे तेज़ गति से
लिख सकते थे बिना किसी त्रुटि के।उनके लिखे लेख, टिप्पणियाँ, पत्र और गांधीजी के व्याख्यान सबके
के सब ज्यों के त्यों प्रकाशित होते थे जिन्हें पढ़कर लोग मंत्र-मुग्ध हो जाया करते
थे।
लिखित
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1 - ‘अपना परिचय उनके ‘पीर—बावर्ची—भिश्ती—खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’
2 - इस पेशे में आमतौर पर
स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।
3 - देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त
हो गए।
4 - उन पत्रों को देख—देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय
लंबी साँस—उसाँस लेते रहते थे।
1. प्रस्तुत कथन में लेखक गांधीजी के निजी
सचिव की निष्ठा, समर्पण, और उनकी प्रतिभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वे स्वयं को गांधीजी का निजी सचिव
नहीं बल्कि एक ऐसा सहयोगी मानते हैं जो सदा उनके साथ रहे। इसलिए स्वयं को गांधीजी का पीर अर्थात सलहकार, रसोइया, मशक से पानी ढोनेवाला के रूप में अपना परिचय देते थे।
2. इस पंक्ति का आशय यह
है कि महादेव और उनके जिगरी दोस्त नरहरि भाई दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद
में वकालत भी साथ—साथ ही शुरू की थी। लेखक
का मत यह कि इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद
और सफ़ेद को स्याह करना होता है। अर्थात
दलीलों से सही को गलत और गलत को सही साबित करना पड़ता था।
3. इस कथन का आशय यह है कि नक्षत्र मंडल
में तेजस्वी शुक्रतारे की दुनिया या तो शाम के समय या बड़े सवेरे केवल दो घंटे के लिए
ही देख पाती है उसी प्रकार महादेव भाई भी गांधीजी के पास आधुनिक भारत के स्वतंत्रता
काल में सन् 1917 में पहुँचे। उन्होंने थोड़े से समय में ही अपनी लेखन प्रतिभा, अपने परिश्रम तथा देश के प्रति प्रेम-भावना से सारे संसार को अपनी ओर मोड़ लिया
और शुक्रतारे की तरह अल्प समय में सबको मंत्र-मुग्ध करके सन् 1935 में अस्त हो गए।
4. इस कथन का आशय यह है कि महादेव भाई द्वारा लिखे
गए लेख, टिप्पणियाँ
तथा पत्र अद्भुत होते थे। भारत में उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। उनका शब्द चयन
अनूठा था। वे इतनी शुद्ध और सुंदर भाषा में लेखन कार्य करते थे कि पढ़ने वालों के मुँह से ‘वाह’ निकल जाता
था। वाइसराय के नाम जाने वाले गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।
उन पत्रों को देख—देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी
साँस—उसाँस लेने लगते थे क्योंकि पूरे ब्रिटिश सर्विस
में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कोई नहीं था।
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