Gillu Mahadevi Vaerma By Avinash Ranjan Gupta

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बोधप्रश्न
1.  सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
2.   पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
3.   गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
4.  लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
5.  गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
6.  गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
7.  गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?
8.  प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया का आशय स्पष्ट  कीजिए।
9.  सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का  जन्म होता है?



1.  सोनजूही की पीली कली मनमोहक होती है। लेखिका के मन यह विचार आया कि वह छोटा जीव इसी कली की सघन छाया में छिपकर बैठ जाता था। वह लेखिका के निकट पहुँचते ही कंधे पर कूद जाता था और उन्हें चौंका देता था। उस समय लेखिका को केवल कली की खीज रहती थी पर अब वे उस लघुगात, प्राणी को ढूँढ रही थी। इस कली को पुनः खिले हुए देखकर लेखिका के मन में उसी पारिवारिक सदस्य की याद आ जाती है जिसका नाम उन्होंने गिल्लू रखा था।

2.  कौआ एक विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया जाता है तो कभी अनादर। पाठ के आधार पर कौए को समदारित कहा गया है  श्राद्धों में लोग  कौए को आदर से बुलाते हैं क्योंकि माना जाता है कि जो लोग मर जाते हैं वे कौए के रूप में अपने प्रियजनों से मिलने आते हैं। उन्हें खाना खिलाकर ये माना जाता है कि अपने प्रियजनों को खाना खिला दिया। कौए के माध्यम से ही दूर बसे प्रियजनों के आने का संदेश मिलता है। कभी-कभी इसका  अनादर किया जाता है, क्योंकि कर्कश स्वर में काँव- काँव करके हमें परेशान करने लगता है।

3.  लेखिका ने दो कौओं की चोंच से घायल , गिलहरी के बच्चे को उठा लिया। कौओं के द्वारा चोंच मारे जाने के कारण निश्चेष्ट-सा गमले से चिपका हुआ पड़ा था। लेखिका उसे उठाकर अपने कमरे में ले आई और रूई से उसका खून पोंछकर उसके घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। लेखिका ने रूई की पतली बत्ती दूध से भिगोकर   बार-बार उसके नन्हें से मुँह पर लगाई किन्तु उसका मुँह पूरा खुल न पता था। काफी देर लेखिका उसका उपचार करती रही और उसके मुँह में पानी की बूँद टपकाने में सफल हो सकी लेखिका के इस प्रकार के उपचार के तीन दिन बाद ही गिलहरी का बच्चा पूरी तरह अच्छा और स्वस्थ हो गया।

4.  जब लेखिका बैठती तो गिल्लू उनका ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करता। इसके लिए वह लेखिका के पैर तक आकार तेज़ी से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर तेज़ी से उतरता। गिल्लू का यह सिलसिला उस समय तक चलता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती। इस प्रकार गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने में सफल हो जाता। 

5.  गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता पड़ी क्योंकि उसके जीवन का पहला वसंत आ गया था। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक कहकर गिल्लू को कुछ कहने लगी। गिल्लू जाली के पास बैठकर उन्हें निहारता रहता था। लेखिका को लगा कि उन्हें मुक्त वातावरण में  उछलते-कूदते देख गिल्लू का भी मन बाहर जाने के लिए मचलता होगा। साथ ही साथ उसे मुक्त  करना इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि उस लघुगात को कुत्ते और बिल्ली से बचाना भी था। लेखिका ने उसे मुक्त करने के लिए जाली का एक कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू बाहर आ-जा सकता था। बाहर जाकर गिल्लू ने सचमुच मुक्ति की सांस ली।

6.  एक बार लेखिका मोटर दुर्घटना में घायल हो गई और कई दिनों तक उन्हें अस्पताल में रहना पड़ा। अस्पताल से घर आने के बाद गिल्लू ने परिचारिका की तरह लेखिका की सेवा की। वह लेखिका के पास बैठा रहता था। वह तकिये पर सिहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका के सिर और बालों को इस प्रकार सहलाता जिस प्रकार कोई सेविका अपने हाथों को हल्का क मालिश कर रही हो। गिल्लू का सिरहाने से हटना लेखिका को ऐसा प्रतीत होता मानो परिचारिका ही हट गई हो।

7.  गिलहरी की जीवन अवधि लगभग दो वर्ष की होती है। जब गिल्लू का अंत समय आया तो उसने दिन भर कुछ भी नहीं खाया। वह घर से बाहर भी नहीं गया। वह अपने अंतिम समय में झूले से उतरकर  लेखिका के बिस्तर पर निश्चेष्ट लेट गया। उसके पंजे पूरी तरह ठंडे पड़ चुके थे। वह अपने ठंडे पंजे से लेखिका की अँगुली पकड़ कर हाथ से चिपक गया। लेखिका ने हीटर जलाकर उसे गर्मी देने का प्रयास किया परंतु इसका कोई लाभ न हुआ। सुबह होने तक गिल्लू की मृत्यु हो चुकी थी।

8.  जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है मृत्यु। गिल्लू के जीवन का मार्मिक अंत हो गया। गिल्लू महादेवी वर्मा के परिवार का एक सदस्य था। गिल्लू की मौत पर लेखिका के ये वाक्य इस ओर इशारा करते हैं कि गिल्लू भले ही आज हमारे साथ न हो परंतु वह किसी न किसी रूप में फिर से जन्म लेगा।

9.  सोनजूही की पीली कली लगी थी। इसी सोनजूही की लता के नीचे गिल्लू की समाधि थी जो लेखिका को गिल्लू के पुनर्जन्म की अनुभूति दिला रहा था लेखिका को ऐसा लगा कि इस पीली कली के रूप में गिल्लू फिर से उन्हें चौंकाने आया है।



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