Tera Sunahara Mann By avinash Ranjan Gupta



तेरा सुनहरा मन
है सुनहरा मन ये तेरा
जिसने खींचा ध्यान मेरा
अब तुम्हीं से क्या बताऊँ
जिसने डाला दिल पे डेरा
तुझमें हैं सादगी अनोखी
शारदा की सखी सरीखी
फूलों की कलियों-सी कोमल
है तुम्हारी आभा अविरल
तेज का तरकश है तुममें
धूप में भी छाँव तुम
भर दे ज्योति जो जीवन में
ऐसा दीन और दान तुम
शब्द हैं ऐसे निकलते
जैसे किरणें सूर्य से
मन को मिलती है शीतलता
जैसे अचला सोम से
कर्म में अच्छाई तेरी
है सच्चाई सीध में
ध्वज के जैसे सुशोभित
शील तेरा संघ में
उत्साह है असीम तुझमें
जितनी सागर में लहर
धीर धारण की तुम स्वामी
तुम धरा की हो धरोहर
                                   अविनाश रंजन गुप्ता

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