Agnipath By Avinash Ranjan Gupta


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1 -निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) कवि ने अग्नि पथकिसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
(ख) माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथइन शब्दों का बारबार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) एक पत्र - छाँह भी माँग मतइस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
1.     अग्निपथका अर्थ है- आग से घिरा हुआ रास्ता। जिसका लक्षणार्थ है कठिनाइयों से भरा हुआ रास्ता। कवि ने इसे संघर्षमयी जीवन के रूप में प्रस्तुत किया है। कवि का मानना है कि यह दुनिया केवल किसी एक आदमी के लिए नहीं बनी है। इस दुनिया में सभी अपने जीवन के अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं जो आसान नहीं है। ऐसे में व्यक्ति को अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाना पड़ता है अर्थात उसे अग्निपथ पर चलना होता है।   
2.     माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथइन शब्दों का बारबार प्रयोग कर कवि कहना चाहते हैं कि सफलता दो प्रकार से प्राप्त की जा सकती हैं,  एक तो अपने दम पर और दूसरा बड़े लोगों की चापलूसी कर कर। निस्संदेह कवि हमें पहले वाले रास्ते पर ही चलने का  संदेश दे रहे हैं क्योंकि जब हम अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तो सिर उठाकर और निर्भीक होकर अपनी सफलता की कहानी से दूसरे बंदों को प्रेरित कर सकेंगे जोकि दूसरे वाले रास्ते से कभी भी संभव नहीं हो सकेगा।और जब आपकी सफलता का  इतिहास  लिपिबद्ध किया जाएगा तो उसमें केवल आपकी ही मेहनत का वर्णन रहेगा।  
3.     एक पत्र - छाँह भी माँग मतइस पंक्ति का आशय कवि की दृष्टि से यह है कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें दूसरों की मदद नहीं लेनी चाहिए। कवि को सांसरिक अनुभव बहुत ही है। वे अच्छी तरह से जानते हैं कि इस दुनिया में लोग बड़े ही मौकापरस्त हैं। आपकी छोटी-सी मदद करने के बाद हर जगह यही ढोल पीटते रहेंगे कि आपकी सफलता के पीछे उनका बहुत बड़ा हाथ है।     
2 -निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए -
(क)  तू न थमेगा कभी
          तू न मुड़ेगा कभी
(ख)  चल रहा मनुष्य है
          अश्रुस्वेदरक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
1.    कविता के इन पंक्तियों का आशय यह है कि हमे जीवन पथ पर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए। यह रास्ता बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ होता है। इस मार्ग पर चलते समय हमें काफी कष्ट होगा। हमें अनेक कुर्बानियाँ देनी होंगी। ऐसी स्थिति में हम कमजोर पड़ सकते हैं और अपने पथ से भटक सकते हैं। इसी भटकाव से  बचने  के लिए  कवि हमें यह शपथ दिला रहे हैं कि हमें अपना मार्ग किसी भी स्थिति में नहीं त्यागना है। मुसीबतों के समय हमें यह कल्पना कर धैर्य धारण करना चाहिए कि सफलता मिलने की असीम खुशी इस दुख और कष्ट से काफी बड़ी होगी।     
2.    प्रस्तुत पंक्तियों का आशय यह है कि मनुष्य को अपना जीवन सफल बनाने के लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ेगा। इस संघर्ष के दौरान पसीने और खून का बहना सामान्य-सी बात हो सकती है। ऐसी स्थिति में भी हमें उस वीर सैनिक की तरह आगे बढ़ते ही रहना चाहिए जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए उस समय तक शत्रुओं लड़ता है जब तक उसमें आखिरी साँस बची रहती है। 
3 -इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
1.    इस कविता का मूलभाव यह है कि यह जीवन एक संघर्ष है और हरेक जीव को अपने जीवन के रोज़मर्रा कामों में भी संघर्ष करना ही पड़ता है फिर चाहे वह आदमी हो या पशु। इसके अतिरिक्त जब कोई व्यक्ति अपने अपने जीवन को आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल बनाने की ठान लेता है।  जब कोई व्यक्ति इतिहास के पन्नों में अपने नाम को अमर करने की आरजू  पाल बैठता है। जब कोई मनुष्य अपनी मौत को तारीख बना देना चाहता है। ऐसे में उसका लक्ष्य अग्निपथ यानी के कठिनाइयों, दुवधाओं, बलिदानों  के लंबे मार्ग के बाद मिलता है। लक्ष्य को पाने में आने वाली कठिनाइयों को झेलना, अपने दम पर आगे बढ़ने का जोश, बिना किसी की चापलूसी किए और मदद लिए , सभी चुनौतियों का सामना करते हुए, अपने पुरुषार्थ पर बिना कोई कलंक लगाए जब कोई अपने लक्ष्य तक पहुँचता है तो उसकी प्रशस्ति सारे संसार में होती है।    

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