वन महोत्सव Van Mahotsav Par Geet By Avinash Ranjan Gupta
वन महोत्सव
वन
वसुधा का शृंगार है,
वन
वसुधा का शृंगार है।
कल्पना
की अल्पना का
ईश्वर
की संकल्पना का
वन
ही तो विस्तार है
वन
वसुधा का शृंगार है,
वन
वसुधा का शृंगार है।
निर्झर
तटिनी जीव जंतु
गिरि
परिंदे और तरु
ये
वन के ही परिवार है
वन
वसुधा का शृंगार है,
वन
वसुधा का शृंगार है।
तजकर
दानवता अब हमको,
मानवता
को अपनाना है।
वन
निधि है सकल जीवन की,
जन-जन
तक ये पहुँचाना है।
वृक्षारोपण
करे सभी जन,
वृक्षारोपण
करे सभी जन।
दिल
से उन्हें ये सिखलाना है।
दिल
से उन्हें ये सिखलाना है।
उगते
पौधे व खिलते फूल।
उगते
पौधे व खिलते फूल।
जीवन
के आधार हैं,
वन
वसुधा का शृंगार है,
वन
वसुधा का शृंगार है।
वन
जीवन का आधार है।
वन
वसुधा का शृंगार है।
अविनाश रंजन गुप्ता
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