तू मेरी ज़िंदगी है.... By Avinash Ranjan Gupta
तू मेरी ज़िंदगी है....
जज़्बातों को
अपने लफ्जों में, मैं पिरो नहीं सकता,
कितना प्यार
है मुझे तुमसे, मैं तुमसे
ये कह नहीं सकता।
तुम चाहो तो
सुन सकती हो धड़कनों को हमारी,
ये कहता है, सिवा तेरे किसी और के लिए धड़क
नहीं सकता।
कभी फुर्सत मिले
तुम्हें तो देखो न हमारी आँखों में,
तुम्हें अपने सिवा
इनमें और कोई दिख नहीं सकता।
सच कहूँ तो खुदा
को देखा नहीं है मैंने अब तलक,
मुमुकिन है, खुदा भी तुझ-सा खूबसूरत, दिख नहीं सकता।
भले आफ़ताब भी
महताब से आरज़ू करने लगे रोशनी की,
मुफ़लिसी है मगर
साथ तेरा जरदार से कम हो नहीं सकता।
कहीं दौलत ने
बनाया है अमीर, नजाने कितने
लोगों को,
तुझे पाकर, मुझ-सा अमीर, इस कायनात में, कोई और हो नहीं सकता।
अविनाश रंजन
गुप्ता
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