वीप्सालंकार Veepsa Alankaar

 

वीप्सालंकार

“आदर अचरज प्रादिहित, एक सब्द बहु बार।

ताहि वीप्सा कहत हैं, जे सुबुद्धि-भंडार॥”

विवरण-आदर, ताकीद, आश्चर्य अथवा अन्य कोई आकस्मिक भाव प्रगट करने तथा उसे प्रभावशाली बनाने हेतु एक शब्द कई बार कहा जाए, वही वीप्सालंकार है।

 

शिव शिव शिव! कहते हो यह कैसा, ऐसा फिर मत कहना।

राम, राम यह बाट भूलकर मित्र कभी मत गहना।

बहू,  तनिक अक्षत रोली तिलक लगा दूँ, माँ बोली

जियो, जियो,  बेटा आओ, पूजा का प्रसाद पाओ।

 

वर्ण-वर्ण है उर के कंपन

शब्द-शब्द है सुधि के दंशन

चरण-चरण  है आह।

 

आदर

“सिव सिव ह्वैं प्रसन्न करु दाया।”

“राम राम राम जींह जौलौं तू न जरिहै।

तौलौ तू कहूँ जाय तिहूँ ताप तपिहै॥”

“राम राम रमु, राम राम रटु, राम राम जपु जींहा ।।

“राम राम राम राम राम राम जपत।

मंगल-मुद उदित होत कलिमल छल छपत॥”

ताकीद

राम जपु राम जपु राम जपु बावरे।

घोर भव-नीरनिधि' राम निजु' नाव रे।

आश्चर्य

राम राम ! यह क्या करते हो।

घृणा

छिः छिः उसे मत छुओ !

पश्चात्ताप

राम राम ! यदि मैं जानता कि ऐसा होगा तो मैं यह काम न करता।

अहंकार

भाई भाई, क्या तुम्हीं बड़े बुद्धिमान हो?

विशेष द्रष्टव्य

सूचना- इसी प्रकार और भी आकस्मिक भाव प्रगट करने के लिए शब्द दोहराए तेहराए जाते हैं।

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