प्रहेलिका ( पहेली) Prahelika Alankaar
प्रहेलिका ( पहेली)
प्रस्नहिं में उत्तर कहै, कछू सब्द के फेर ।
सो प्रहेलिका दोय विधि,सब्द अर्थगत हेर ।।
विवरण – जिस प्रश्न में ही उत्तर छिपा हुआ हो केवल शब्दों
का फेर हो वहीं प्रहेलिका अलंकार होता है। यह अलंकार दो प्रकार का होता है-
(1) शब्दगत प्रहेलिका
(2) अर्थगत प्रहेलिका
(1) शब्दगत प्रहेलिका
1-चौपाई
देखी एक अनोखी नारी। गुन उसमें इक सबसे भारी।
पढ़ी नहीं यह अचरज आवै। मरना-जीना तुरत बतावै ।
उत्तर-हाथ की नाड़ी
2- चौपाई
बारे से वह सबको भावै, बढ़ा हुआ कुछ काम न आवै।
मैं कह दिया है उसका नाम, अर्थ करो के छाँड़ो ग्राम॥
उत्तर-दीया (दीपक)
3-चौपाई
आदि कटै ते सबको पालै, मध्य कटे ते सबको सालै।
अंत कटे ते सबको मीठा, सो खुसरो मैं आँखों दीठा॥
उत्तर-काजल –
चहूँ और फिरि आई।
जिन देखी तिन खाई॥
उत्तर-खाई।
4. एक थाल मोती से भरा, सबके सिर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे, मोती उससे एक न गिरे।।
(उत्तर- आकाश, मोती से संकेत तारों की ओर है)
5. श्याम बरन और दाँत अनेक। लचकत जैसी नारी।।
दोनों हाथ से
खुसरो खींचे। और कहें तू इसे क्या री।।
आरी
(2) अर्थगत प्रहेलिका
1-दोहा-
लक्ष्मी-पति के कर बसै, चार बरन गनि लेव ।
पहिलो अक्षर छोड़िकै, आय हमें किन देव ॥
उत्तर-दर्शन
2-दोहा-
सब सुख चाही भोगिबो, जौ पिय एकहि बार ।
चंद गहै जहँ राहु को, जइयो तेहि दरबार ॥
उत्तर-राजा बीरबल का दरबार, जहाँ चंद नाम का एक द्वारपाल था।
3-दोहा-
ऐसी मूरि बताव सखि, जेहि जानत सब कोय ।
पीठि लगावत जासु रस, छाती सीरी होय ॥
उत्तर-पुत्र
4. श्यामामुखी न मार्जारी द्विजिह्वा न सर्पिणी।
पंचभर्ता न पांचाली यो जानाति स पंडित:।।
अर्थात् काले मुखवाली होते हुए बिल्ली नहीं, दो जीभवाली होते हुए सर्पिणी
नहीं तथा पाँच पतिवाली होते हुए द्रौपदी नहीं है। उस वस्तु को जो जानता है वही
पंडित है। (उत्तर-कलम)। कलम काले मुख की ही बहुधा होती है, जीभ
बीच में विभाजित रहती है और पाँच उँगलियों से पकड़कर उससे लिखते हैं।
विशेष द्रष्टव्य
विषयों के अनुसार प्रहेलिका या पहेलियों को पाँच प्रमुख
वर्गों में बाँटा जा सकता है, यथा:
खेती-संबंधी (कुआँ, मक्के का भुट्टा),
भोजन संबंधी (तरबूज, लाल मिर्च),
घरेलू वस्तु संबंधी (दीया, हुक्का, सुई, खाट),
प्राणि संबंधी (खरगोश, ऊँट,)
अंग, प्रत्यंग सबंधी (दाँत, जीभ)।
हिंदी की अन्य क्षेत्रीय बोलियों यथा भोजपुरी, अवधी, बुंदेलखंडी, मैथिली आदि
में भी पर्याप्त मात्रा में पहेलियाँ पाई जाती हैं।
सूचना-इस अलंकार को फारसी वा उर्दू में ‘वीस्वाँ’ वा ‘मुअम्मा’ कह सकते
हैं।
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