आख्यान – एक विस्तृत अध्ययन Aakhyan Kya hota hai?

 

आख्यान – एक विस्तृत अध्ययन

आख्यान शब्द का सामान्य अर्थ

आख्यान या अनुश्रुति शब्द आरंभ से ही सामान्यतः कथा अथवा कहानी या वृतांत के अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है।

आख्यान क्या है?

आख्यान वह विस्तृत काव्य है जिसमें प्रेम, नीति, भक्ति, वीरता आदि के निरूपण के लिए काल्पनिक रोचक कथानक का सरस मधुर शैली में वर्णन होता है। इसके अंतर्गत भी विभिन्न प्रसंग या खंड हो सकते हैं। आख्यान को प्रामाणिक-सा बनाने के लिए इसमें कतिपय ऐतिहासिक स्थानों और नामों का समावेश भी कर लिया जाता है। इसमें एक प्रधान या प्रमुख कथा और अन्य कुछ गौण कथाएँ संघटित रहती हैं।

आख्यान के भेद

आख्यान के प्रमुख भेद प्रेमाख्यान, नीत्याख्यान, साहसिक आख्यान आदि हैं, जैसे- इंद्रावती, मृगावती, नलोपाख्यान, ढोला मारू रा दूहा, छिताई वार्ता आदि ।

आख्यान लेखन की विधि

आख्यान उपन्यास का एक है प्रकार जिसमें उपन्यासकार पात्रों से कुछ न कहलवाकर स्वयं सब बातें कहता चलता है। इसमें पात्रों की बातचीत बहुत अधिक लंबी-चौड़ी नहीं हुआ करती है। चूकि कथा कहनेवाला कवि ही होता है।  इसमें अधिकतर भूतकालिक क्रिया का प्रयोग होता है, पर दृश्यों को ठीक-ठीक प्रत्यक्ष कराने के लिए कभी कमी वर्तमानकालिक क्रिया का भी प्रयोग होता है, जैसे - सूर्य डूब रहा है, ठंडी हवा चल रही है, इत्यादि ।

आख्यानक क्या होता है?

छोटे आख्यान को ही आख्यानक कहा जाता है।

क्या वेदों में आख्यान होते हैं?

हाँ, ‘सुपर्ण और पुरुरवा इत्यादि के आख्यान ऋग्वेद में मिलते हैं।

क्या मनुस्मृति में आख्यान वर्णन है?

मनुस्मृति के तृतीय अध्याय में पितृ श्राद्ध के अवसर पर किए जानेवाले कर्मों के विवरण में कुल्लक भट्ट ने मन्वर्थमुक्तावली नामक आख्यान लिखा है।

अत्यधिक प्रचलित आख्यान

च्यवन भार्गव तथा सुकन्या मानवी का आख्यान भारतीय नारीचरित्र का एक नितांत उज्ज्वल दृष्टांत उपस्थित करता है।

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