मैंने अपना संहार किया
मैंने अपना संहार किया
मैंने अपना
संहार किया।
हाँ, मैंने अपना ही संहार किया।
दिल की सुनी
दिमाग से पहले
यही उमर है
मस्ती कर ले
मादकता की
अंगड़ाई लेकर,
मैंने व्यसन
से प्यार किया।
मैंने अपना
संहार किया।
हाँ, मैंने अपना ही संहार किया।
अच्छे पथ को
कष्टमयी जानकर,
शॉर्टकट को
सफलता मानकर,
होकर आलस्य
के वशीभूत,
क्षणिक सुख
स्वीकार किया,
मैंने अपना
संहार किया।
हाँ, मैंने अपना ही संहार किया।
कर्मों का
था ध्यान मुझे,
निज नाश का
ज्ञान मुझे,
सोचा कल से
छोड़ ही दूँगा,
उद्यम से
नाता जोड़ ही लूँगा,
लेकिन कल
फिर एक बार किया।
मैंने अपना
संहार किया।
हाँ, मैंने अपना ही संहार किया।
आज स्थिति
ऐसी है,
कि रोता हूँ
पछताता हूँ,
अपनी विफलता
की कहानी
कविता से
बतलाता हूँ,
कि कैसे
मैंने कुठार लेकर,
अपने ही पग
पर वार किया,
मैंने अपना
संहार किया।
हाँ, मैंने अपना ही संहार किया।
अविनाश रंजन गुप्ता
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