उसका मुसकराना

 

उसका मुसकराना

अब जाकर वह मुस्काई है,

मेरा मुस्काना बंद हुआ, संग किया था जब मैंने रोना,

आँखें चार कर ली थीं उससे, जिसका मैं चाहता था होना,  

उसका दिल सारा ढूँढ चुका, बस बाकी था जब अंतिम कोना,

तब ही मेरा दिल मिल पाया और अब चोरी पर शरमाई है, 

अब जाकर वह मुस्काई है,

अब जाकर वह मुस्काई है।

केवल सीधी-साधी बातों से दुनिया में काम नहीं निकला,

पिघली आखिर वह तब जाकर, जब उसके आगे जी निकला,

मान गई वह जान के ये कि मैं ही उसका सच्चा संग हूँ,

अब जाकर वह मेरे दिल पर हौले-हौले ललचाई है,

अब जाकर वह मुस्काई है,

अब जाकर वह मुस्काई है।

अब उसका दिल भी याद करें, ढूँढें नज़रें उसकी मुझको,

उसका साथ पाकर अब खुसकिसमत मैं मानूँ खुदको,

वादा है मेरा ये मुझसे रखूँगा खुश मैं हरदम तुझको,

मेरे आँखों की सच्चाई, उसे और पास मेरे ले आई है,

अब जाकर वह मुस्काई है,

अब जाकर वह मुस्काई है।

अविनाश रंजन गुप्ता

 

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