इल्म gazal on Gam Me Khushi

 

इल्म  

जब गम नहीं था तेरा, गम में पड़ा हुआ था,

गमगीन तेरे गम में, गम से बरी हुआ हूँ।

जब बेफिक्र था मैं तुझसे, फिकरें लगी हुई थीं,

जबसे फिकर है तेरी, बेफिक्र मैं हुआ हूँ।

जब भय नहीं था तेरा, भयभीत हो रहा था,

जब भय हुआ है तेरा, निर्भय मैं हुआ हूँ।

जब तक नहीं दिया धन, तब तक गरीब था मैं,

सब कुछ तुझे देकर, अब मैं धनी हुआ हूँ।

हँसता था रात दिन में, दिल में खुशी नहीं थी,

रो रो के तेरे गम में, अब खूब खुश हुआ हूँ।

जब था नहीं भरोसा, धोखे में पड़ रहा था,

जबसे किया भरोसा, चैन मुझको अब हुआ है।

 

 

 

  

 

 

 

  

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