विस्मयादिबोधक (Interjection)
विस्मयादिबोधक (Interjection)
अरे! तुम आ गए।
वाह! आपने तो कमाल कर दिया।
ख़बरदार! आगे मत बढ़ना।
सच! तुम कक्षा में प्रथम आए हो।
हाय! ये मैंने क्या कर दिया।
विस्मय शब्द का
अर्थ
एक विशिष्ट
स्थिति जब किसी प्रकार की अप्रत्याशित या चमत्कारिक बात या वस्तु सहसा देखकर
प्रसन्नता-मिश्रित या करुणा-मिश्रित आश्चर्य होता है।
विस्मयादिबोधक शब्द
का विखंडन
विस्मय + आदि
+ बोध + क
विस्मयादिबोधक -
एक अव्यय
विस्मयादिबोधक
अव्यय या अविकारी रूप है क्योंकि यह लिंग, वचन, काल और पुरुष के आधार पर परिवर्तनशील नहीं
होते हैं। यह अव्यय के चार रूपों (क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक) में से एक है।
विस्मयादिबोधक शब्दों
की परिभाषा
विस्मयादिबोधक
अव्यय शब्दों से वक्ता या लेखक के मनोवेग अर्थात् विस्मय, हर्ष, शोक, आश्चर्य, ग्लानि, घृणा, विषाद आदि भावों को प्रकट करने वाले अविकारी शब्द
हैं।
विशेष द्रष्टव्य
विस्मयादिबोधक
शब्द वाक्य के आरंभ में ही आते हैं।
इन शब्दों
का वाक्य से कोई व्याकरणिक संबंध नहीं होता।
इन्हें
मनोभावबोधक/उद्गारवाचक शब्द भी कहते हैं।
इनके
उच्चारण का विशेष अनुतान होता है।
कभी-कभी
पूरा वाक्य ही विस्मयादिबोधक होता है, जैसे
क्या कहना!
बहुत अच्छा!
क्या बात
है!
धन्य
महाराज!
सर्वनाश हो
गया!
चल हट, निपूती!
विस्मयादिबोधक
शब्दों के भेद
अर्थ की
दृष्टि से इसके मुख्य ग्यारह भेद हैं।
1. विस्मयसूचक
अरे!, क्या!, सच!, ऐं!, ओहो!, हैं !
क्या! राहुल
की नौकरी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में लग गई।
सच! तुमने
नीट की परीक्षा पास कर ली।
ओहो!, तो ये बात है।
2. हर्षसूचक
वाह!, अहा!, शाबाश!, धन्य!
शाबाश!
तुमने हमारा मान रख लिया।
वाह! तुमने
बहुत अच्छा गीत गाया।
अहा! खीर खाकर
मज़ा आ गया।
3. शोकसूचक
ओह !, हाय!, त्राहि-त्राहि!, हाय राम!, उफ!
हाय राम!
गैस सिलेंडर की कीमत 975 रुपए हो गई।
ओह! ये फिर
से फेल हो गया।
उफ! ये चिलचिलाती
गर्मी।
4. स्वीकारसूचक
अच्छा!, बहुत अच्छा!, हाँ-हाँ!, ठीक!
बहुत अच्छा!
तुमने भारत का नाम रोशन कर दिया।
हाँ-हाँ! अब
तुम्हारा पासपोर्ट बन जाएगा।
अच्छा! तो ये बात है।
5. तिरस्कारसूचक
धिक् !, छिः!, हट!, दूर!, हुश् !
छिः! तुम
कितनी गंदी बातें करते हो।
हुश् ! ये
सब झूठी बातें हैं।
दूर! ये क्या
बकवास है।
6. अनुमोदनसूचक
हाँ-हाँ!, ठीक!, अच्छा!
हाँ-हाँ!
मुझे याद आ गया।
अच्छा! उसने
मेरे बारे में ऐसा कहा।
ठीक! ऐसा ही होना चाहिए।
7. आशीर्वादसूचक
जीते रहो!, चिरंजीवी
हो! दीर्घायु हो!
जीते रहो!
चिरंजीवी
हो!
दीर्घायु हो!
8. संबोधनसूचक –
हे!, रे!, अरे!, अरी!, ऐ!,
अबे, अजी
अरे! आप
कहाँ घुसे जा रहे हैं।
हे ईश्वर!
मेरे कष्टों का निवारण करो।
अजी! सुन
रहे हो बेटे की फ़रमाइश।
9. क्रोधसूचक –
धत!, चुप!,
परे हट!, ठहर!, हट!
चुप! वरना अभी दो तमाचे जड़ूँगा।
ठहर! मैं
बताता हूँ तुझे।
परे हट! इससे
तो मैं ही निपटूँगा।
10. चेतावनीसूचक
बचो!, होशियार!, खबरदार!, अरे हटो!, खामोश!
खबरदार!, एक कदम भी आगे मत बढ़ाना।
अरे हटो!
यहाँ खतरा है।
बचो! गाड़ी आ
रही है।
11. भयसूचक
बाप रे!, ओह!,
आह!, हा!
बाप रे!
इतना बड़ा साँप।
हा! ये क्या
हुआ अभी?
ओह! इतना घना
अँधेरा।
विस्मयादिबोधक
शब्दों का निर्माण
इन सभी के
अलावा कभी-कभी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और क्रियाविशेषण आदि का प्रयोग भी
विस्मयादिबोधक शब्दों के निर्माण में होता है, जैसे -
संज्ञा
शिव, शिव!, हे राम!, बाप रे!
सर्वनाम
क्या!, कौन?
विशेषण
सुंदर!, अच्छा!, धन्य!, ठीक!, सच!
क्रिया
हट!, चुप!, आ गए!
क्रियाविशेषण
दूर-दूर!, अवश्य!
अन्य विस्मयादिबोधक
शब्द
धत् तेरे की, हैलो, बहुत खूब, क्या कहने, कौन, क्यों, कैसा, सावधान, हट, बचाओ, जा-जा आदि
का प्रयोग भी विस्मयादिबोधक के रूप में होता है।
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