समुच्चयबोधक (Conjunction) हिन्दी व्याकरण

 

समुच्चयबोधक (Conjunction)

 

समुच्चयबोधक (Conjunction)

जो अव्यय पद एक शब्द का दूसरे शब्द से, एक वाक्यांश का दूसरे वाक्यांश से अथवा एक वाक्य का दूसरे वाक्य से संबंध जोड़ते हैं, वे समुच्चयबोधकया योजककहलाते हैं, जैसे-

गणेश और कार्तिक भाई हैं। (शब्द/पद)

पिता ने डाँटा तो राहुल माना। (वाक्यांश)

राधा आज आएगी तथा कल चली जाएगी। (वाक्य)

 

समुच्चयबोधक अव्यय का एक रूप

समुच्चयबोधक अव्यय या अविकारी रूप है क्योंकि यह लिंग, वचन, काल और पुरुष के आधार पर परिवर्तनशील नहीं होते हैं। यह अव्यय के चार रूपों (क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, विस्मयादिबोधक) में से एक है।

 

समुच्चयबोधक के भेद

समुच्चयबोधक के दो प्रमुख भेद हैं :

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक (Coordinate Conjunction)

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक (Subordinate Conjunction)

 

समानाधिकरण समुच्चयबोधक

ऐसे समुच्चयबोधक में समान शब्दों, वाक्यांशों और वाक्यों को जोड़ा जाता है, जैसे –

रश्मि और पूजा ने मिलकर खाना बनाया।

आज गुरुवार है इसलिए बाज़ार बंद रहेगा।

आप लस्सी पिएँगे या शरबत।

 

समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद

1.     संयोजक

2.     विभाजक

3.     विरोधसूचक

4.     परिणामसूचक।

 

संयोजक

जो अव्यय पद दो शब्दों, वाक्यांशों या समान वर्ग के दो उपवाक्यों में संयोग प्रकट करते हैं, वे संयोजककहलाते हैं; जैसे : और, एवं, तथा आदि।

(1) राम और श्याम भाई-भाई हैं।

(ii) इतिहास एवं भूगोल दोनों का अध्ययन करो।

(iii) सुरेश ने चाय पी और राजू ने कॉफी।

 

विभाजक या विकल्प

जो अव्यय पद शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों में विकल्प प्रकट करते हैं, वे विकल्पया विभाजककहलाते हैं,

जैसे- : कि, चाहे, अथवा, अन्यथा, या, नहीं, तो आदि।

(i) तुम ढंग से पढ़ो अन्यथा फेल हो जाओगे।

(ii) मधु रसगुल्ले खिलाएगी न कि जलेबियाँ।

(iii) मैसूर चलिए अथवा बैंगलोर चलिए।

 

विरोधसूचक

जो अव्यय पद पहले वाक्य के अर्थ से विरोध प्रकट करें, वे विरोधसूचककहलाते हैं,

जैसे- परंतु, लेकिन, किंतु, मगर, पर  आदि।

(i) रोटियाँ मोटी किंतु स्वादिष्ट थीं।

(ii) वह आया परंतु देर से।

(iii) मैं तो चला जाऊँ लेकिन पिताजी डाँटेंगे।

 

परिणामसूचक

जब अव्यय पद किसी परिणाम की ओर संकेत करता है, तो वे परिणामसूचक कहलाते हैं,

जैसे - इसलिए, अतएव, अत:, जिससे, जिस कारण आदि।

(i) तुमने मना किया था इसलिए मैं नहीं आया।

(ii) मैंने यह काम खत्म कर दिया है ताकि तुम आराम कर सको।

(iii) सुनील ने अधिक खा लिया था फलत: बदहजमी हो गई।

 

व्यधिकरण समुच्चयबोधक

ऐसे समुच्चयबोधक जिसमें एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को जोड़ा जाता है, जैसे –

पड़ोसन इतने ज़ोर से बातें कर रही है मानो झगड़ रही हो।

शोभा के अच्छे अंक आए हैं क्योंकि उसने पढ़ाई की थी।

यदि मेहनत करोगे तो सफल हो जाओगे।

 

व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भेद

1.     हेतुबोधक या कारणबोधक,

2.     संकेतबोधक,

3.     स्वरूपबोधक,

4.     उद्देश्यबोधक।

 

हेतुबोधक या कारणबोधक

इस अव्यय के द्वारा वाक्य में कार्य-कारण का बोध स्पष्ट होता है,

जैसे- ताकि, क्योंकि, जिससे कि, जो कि, चूँकि, इसलिए, कि आदि।

(i) वह असमर्थ है क्योंकि वह लंगड़ा है।

(ii) चूँकि मुझे वहाँ जल्दी पहुँचना है इसलिए जल्दी जाना होगा।

(iii) कर्मचारी हड़ताल पर हैं क्योंकि उनकी बातें नहीं मानी गईं । 

(iv) ट्रेन अभी पहुँची है जो कि तीन घंटे पहले पहुँचनी थी।

 

संकेतबोधक

इसमें प्रथम उपवाक्य के योजक का संकेत अगले उपवाक्य में पाया जाता है। ये प्रायः जोड़े में प्रयुक्त होते हैं,

जैसे -: यदि .. तो, जब .. तब, यद्यपि ..तथापि, चाहे..परंतु, जैसे..तैसे आदि।

(i) ज्योंहिं मैंने दरवाजा खोला त्योंहिं बिल्ली अंदर घुस आई।

(ii) यद्यपि वह बुद्धिमान है तथापि आलसी भी।

(iii) जब ब्राह्मण आएँगे तब पूजा होगी।

(iv) यदि राकेश बुलाता तो दिवाकर ज़रूर जाता।

 

स्वरूपबोधक

जिन अव्यय पदों को पहले उपवाक्य में प्रयुक्त शब्द, वाक्यांश या वाक्य को स्पष्ट करने हेतु प्रयोग में लाया जाए, उसे स्वरूपबोधक कहते हैं, जैसे : यानी, अर्थात् , यहाँ तक कि, मानो आदि।

(i) वह इतनी सुंदर गाती है मानो लता मंगेशकर हो।

(ii) 'असतो मा सद्गमय' अर्थात् (हे प्रभु) असत्य से सत्य की ओर ले चलो।

(iii) कल मेरा जन्मदिन है यानी तुम्हें आना ही होगा।

(iv) दधीचि एक दानवीर थे यहाँ तक कि उन्होंने अपना जीवन भी दान में दे दिया।

 

उद्देश्यबोधक

जिन अव्यय पदों से कार्य करने का उद्देश्य प्रकट हो, वे उद्देश्यबोधक कहलाते हैं,

जैसे - जिससे कि, कि, ताकि आदि।

(i) वह बहुत मेहनत कर रहा है ताकि सफल हो सके।

(ii) मेहनत करो जिससे कि प्रथम आ सको।

(iii) सुनीता रक्त जाँच कर रही है जिससे कि बीमारी का पता लगाया जा सकेगा।

(iv) शिक्षक ने बताया कि पृथ्वी गोल है। 

 

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