अन्विति Concord हिन्दी व्याकरण

 

अन्विति (Concord)

जब वाक्य के किसी एक संज्ञा पद के लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि व्याकरणिक कोटियों के अनुसार अन्य पदों का भी स्वरूप निर्धारित होता है, तब इसे अन्विति कहते हैं। 'अन्विति' का तात्पर्य है-मेल या अनुरूपता। वाक्य के पदों की क्रिया का उसके लिंग, वचन, काल तथा पुरुष के अनुरूप होना 'अन्विति' कहलाता है। अन्विति को 'अन्वय' भी कहते हैं। अन्विति संबंधी महत्त्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं-

कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द

कर्ता – Subject

कर्म – Object

क्रिया – Verb

कारक – Case

विभक्ति/परसर्ग – Preposition

विभक्ति सहित – With Preposition

विभक्ति सहित – Without Preposition

विशेषण – Adjective

विशेष्य – Noun/ Pronoun

लिंग – Gender

स्त्रीलिंग – Feminine

पुल्लिंग – Masculine

एकवचन – Singular

बहुवचन – Plural

सर्वनाम – Pronoun

उत्तम पुरुष – First Person

मध्यम पुरुष – Second Person

अन्य पुरुष – Third Person

 

 

(क) कर्ता-क्रिया की अन्विति  

1. जिस वाक्य में कर्ता और कर्म दोनों विभक्ति-रहित हों, वहाँ क्रिया कर्ता के अनुरूप प्रयुक्त होती है, जैसे

श्यामा पानी भरती है।

सोहन बाइक चलाता है।

बच्चे फुटबाल खेलते हैं।

वृद्धाएँ कष्ट झेलती हैं।

2. जहाँ कर्ता विभक्ति-रहित हो किंतु कर्म में परसर्ग लगा हो, वहाँ भी क्रिया कर्ता पद के लिंग, वचनानुसार प्रयुक्त होती है, जैसे -

राजेश रमा को चिढ़ाता है।

रीना बिल्ली को डराती है।

लड़के मुर्गे को पकड़ रहे हैं।

लड़कियाँ शिक्षक को बुलाने गई हैं।

(ख) कर्म-क्रिया की अन्विति  

1. जिन कर्ता-पदों के साथ 'ने' विभक्ति का प्रयोग होता है किंतु कर्म या पूरक परसर्ग-रहित होता है, वहाँ क्रिया कर्म के अनुसार प्रयुक्त होती है, जैसे-

मोहिनी ने रोटी बेली। (कर्म के अनुसार)

मोहिनी ने चार केले खाए। (कर्म के अनुसार)

मोहन ने पत्र लिखे। (कर्म के अनुसार)

नमिता ने चिट्ठियाँ लिखीं। (कर्म के अनुसार)

बच्चों को बुखार था। (पूरक के अनुसार)

मुझे नींद आ रही थी। (पूरक के अनुसार)

(ग) निरपेक्ष अन्विति  

1. जहाँ कर्ता और कर्म दोनों विभक्ति-सहित होते हैं, वहाँ क्रिया पुल्लिंग एकवचन में होती है, जैसे -

प्राचार्य ने शिक्षकों को सभा के लिए बुलाया।

बंदरों ने टोपियों को उठाया।

अध्यापक ने सभी छात्रों को बुलाया।

शीला ने नौकर को बहुत डाँटा।

2. समान लिंग के विभक्ति-रहित अनेक कर्ता-पद जब 'और' योजक से जुड़े होते हैं तो क्रिया उसी लिंग के बहुवचन में प्रयुक्त होती है, जैसे

रागिनी, शीला और सुहाना पानीपुरी खा रही हैं।

पिताजी, भाई साहब और जीजा जी बातें कर रहे हैं।

3. 'या' से जुड़े विभक्ति-रहित कर्ता-पदों की क्रिया अंतिम कर्ता के अनुसार होती है, जैसे-

शादी में पुनीत या पुनीता जाएगी।

चित्र श्यामा या श्याम बनाएगा।

राशन शाश्वत या शाश्वती लाएगी।

4. यदि एकाधिक कर्ता-पदों के लिंग भिन्न-भिन्न हों और वे 'और' योजक से जुड़े हों तो क्रिया पुल्लिंग बहुवचन में प्रयुक्त होती है, जैसे

शिवरात्रि के मेले पर बच्चे-बूढ़े, आदमी-औरत, लड़के-लड़कियाँ खूब शोर-शराबा करते हैं।

मेरी बहन के पुत्र, पुत्री और पुत्रवधू दिल्ली गए हैं।

कुछ दिनों से मेरी बेटी और दामाद आए हुए हैं।

5. यदि एक से अधिक कर्ता-पद भिन्न पुरुष में हों तो उनका क्रम होगा-1. मध्यम पुरुष 2. अन्य पुरुष तथा 3. उत्तम पुरुष। ऐसे वाक्यों में क्रिया अंतिम कर्ता के लिंग के अनुसार बहुवचन में होगी, जैसे-  

तुम, तुम्हारे मित्र और मैं एक ही ट्रेन से जाएँगे।

तू, तुम्हारे पिता और हम औरतें वहाँ कैसे पहुँचेंगी?

6. यदि कर्ता का लिंग अज्ञात हो तो क्रिया पुल्लिंग में प्रयुक्त होती है, जैसे-

सुनो, कोई आ रहा है।

तुम्हारा घर कौन चलाता है?

देखो वहाँ कुछ गिरा पड़ा है।

7. आदरार्थक एकवचन कर्ता के लिए क्रिया बहुवचन में प्रयुक्त होती है, जैसे-

गाँधी जी सारी दुनिया में पूज्य हैं।

पिताजी आ रहे हैं।

लाल बहादुर शास्त्री महान व्यक्ति थे।

सुभाष चंद्र बोस तेजस्वी व्यक्ति थे।

8. दर्शन, आँसू, प्राण, लोग, ओठ आदि शब्दों के साथ क्रिया बहुवचन में प्रयुक्त होती है, जैसे-

उसके प्राण निकल गए।

प्रभु के दर्शन हो गए।

मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे।

लोग तो बात बनाते रहते हैं।

तुम्हारे ओठ बहुत सुंदर हैं।

 

(घ) सर्वनाम और संज्ञा की अन्विति  

1. सर्वनाम के लिंग, वचन संज्ञा के लिंग-वचन के अनुसार प्रयुक्त होते हैं, जैसे

वह (विभा) नाचती-कूदती रहती है।

यह (मोहन) स्कूल से भाग आया है।

उन्हें (बच्चों को) खेलना भी चाहिए।

सुशीला मेरी बहन है। वह आज विद्यालय नहीं जाएगी।  

2. आदरार्थक सर्वनाम का प्रयोग बहुवचन के रूप में होता है, जैसे -

वे (मामाजी) आ गए हैं।

वे (दादीजी) कार में बैठी हैं।

(ङ) विशेष्य-विशेषण की अन्विति  

1. आकारांत विशेषण का लिंग, वचन अपने विशेष्य के अनुसार परिवर्तित होता है, जैसे-

अच्छा लड़का, अच्छी लड़की, अच्छे लड़के।

शेष विशेषण यथावत रहते हैं, जैसे-

सुंदर लड़का, सुंदर लड़की, सुंदर लड़के।

2. यदि विशेषण एक हो और विशेष्य अनेक हों तो विशेषण के लिंग-वचन उसके निकटवर्ती विशेष्य के अनुसार होते हैं, जैसे -

मोटी लड़कियाँ और लड़के आकर्षण खो बैठते हैं।

मीठी वाणी और उपदेश मन को बहुत भाते हैं।

वह गिरती-उठती बड़ी-बड़ी लहरों को देखता रहा।

च) संबंध-संबंधी की अन्विति  

1. संबंध कारक का लिंग उसके संबंधी के लिंग के अनुसार प्रयुक्त होता है, जैसे-

वह मोहन का भाई है।

वह मोहन की पत्नी है।

ये मोहन ये रुपए हैं।

यह मेरी पुस्तक है।

बच्चे का खिलौना टूट गया।

यदि कर्ता भिन्न-भिन्न लिंग के हों और 'और' से जुड़े हुए हों तो क्रिया बहुवचन में होगी, जैसे-

मेरी बेटी और बेटा पढ़ रहे हैं।

तुम्हारा भाई और बहन क्या कर रहे हैं?

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