वाक्य के अंग क्या-क्या होते हैं?
वाक्य के अंग
वाक्य के
अंग या पक्ष
वाक्य के दो
अंग होते हैं – उद्देश्य (Subject) और विधेय (Predicate)
उद्देश्य Subject
वाक्य में
जिसके बारे में कुछ कहा गया हो, उसे उद्देश्य कहते हैं। इसके अंतर्गत कर्ता
और कर्ता -विस्तार (विशेषण, संबंधबोधक, भावबोधक आदि) आते हैं।
विधेय Predicate
उद्देश्य के
विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं। (उद्देश्य का विधान करने
के कारण ही इसे विधेय कहते हैं।) इसके
अंतर्गत क्रिया, क्रिया-विस्तार, कर्म, कर्म-विस्तार आदि आते हैं, जैसे -
ऑफिस बंद
है।
उद्देश्य –
ऑफिस
विधेय – बंद
है।
इस कक्षा का
सर्वश्रेष्ठ तैराक रमेश प्रतियोगिता में भाग लेगा।
उद्देश्य -इस
कक्षा का सर्वश्रेष्ठ तैराक रमेश
विधेय
-प्रतियोगिता में भाग लेगा।
विशेष
द्रष्टव्य
उद्देश्य
प्राय: वाक्य के प्रथम खंड में आता है और विधेय दूसरे खंड में किंतु कभी-कभी अर्थ सौंदर्य
की दृष्टि से इस क्रम को बदल भी दिया जाता है, जैसे-
शहद से भी
मीठी थी उसकी बातें।
उद्देश्य या
विधेय के विस्तार का कारण
देखिए, वाक्य को स्पष्ट, सुंदर, प्रभावी, भावानुकूल बनाने
के लक्ष्य से उद्देश्य या विधेय का विस्तार किया जाता है।
उद्देश्य का
विस्तार
रवि की बहन कविता पढ़ रही है।
पड़ोस में रहने
वाले दीपक ने कार खरीदी।
मेरा छोटा भाई
सोहन होशियार है।
सदा देर से आने
वाले तुम जल्दी आ गए।
विधेय का विस्तार
राम ने रावण
को युद्धभूमि में तीर से मारा।
राजीव क्रिकेट
खेलने के लिए मैदान आ रहा है।
माँ इस समय
छोटे बच्चों को कहानियाँ सुना रही हैं।
विद्यार्थी वार्षिक
परीक्षा दे रहे हैं।
विद्यालय कल
जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर बंद रहेगा।
उद्देश्य और
विधेय का विस्तार
मेहनती छात्र
सदा सफल होते हैं।
रामभक्त हनुमान
ने लंका में आग लगा दी।
नेताजी सुभाष
चंद्र बोस तेजस्वी व्यक्ति थे।
अशोक पुत्र महेंद्र
ने बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
नटखट बालक अपनी
माँ को सता रहा है।
विशेष द्रष्टव्य
कभी-कभी वाक्य
में उद्देश्य लुप्त रह सकता है, जैसे-
इधर आना। (तुम
इधर आना।)
आओ। (तुम
आओ।)
खाइए। (आप
खाइए।)
सुनो। (तुम
सुनो।)
कभी-कभी वाक्य
में विधेय लुप्त रह सकता है, जैसे-
यह काम कौन करेगा?
(मैं
यह काम करूँगा।)
क्या तुम दिल्ली
से हो आए?
(जी, मैं दिल्ली से हो आया।)
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