Tera Utthan Inspirational Poem By Avinash Ranjan Gupta

 

तेरा उत्थान      

 

मैं कहता हूँ इस दुनिया के

सभी मनुष्य योग्य हैं,

वे चाहे तो कुछ भी पा लें,

सभी समृद्धि भोग्य हैं।  

 

नफ़रत करना छोड़ दे तू,

शून्य कर दे तू अपने शत्रु,

विरोधी तेरे होंगे ज़रूर,

न हो तेरे मन में गरुर।   

 

हैं आत्ममंथन की तुझे ज़रूरत,

हैं आत्ममूल्यांकन की तुझे ज़रूरत,

हैं आत्मविश्वास की तुझे ज़रूरत,

हैं आत्मउत्थान की तुझे ज़रूरत।  

 

होगा कांस्य सम तेरा वजूद

होगा रौप्य सम तेरा वजूद

होगा स्वर्ण सम तेरा वजूद

होगा शौर्य तेरा भी ज़रूर।

 

अगर मिला न कुछ भी तुझको,

फिर भी जीवन सुखमय होगा।

कद तेरा तेरी आँखों में

सदा सदा ही ऊँचा होगा।

जो नहीं हो पाते हैं सफल,

वे मूर्ख नहीं कहलाते हैं।  

आजीवन वे सफल होने की,

राह में बढ़ते जाते हैं।

अविनाश रंजन गुप्ता

Comments

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