हम दोनों के प्यार में फ़र्क़ By Avinash Ranjan Gupta
हम दोनों के प्यार में फ़र्क़
हमारी नज़रों के चार होने में बस यही एक फ़र्क़ था
वो मुझे देखी और भूलती चली गई
मैंने उसे देखा और उसमें डूबता चला गया...
उसके और मेरे इंतज़ार में बस यही एक फ़र्क़ था
वो आती और मुझे देख लेती
मैं उसके इंतज़ार में राहें तकता चला गया...
हम दोनों के मुखातिब होने में बस यही एक फ़र्क़ था
वो काम पूरे करके आती रही
और मैं काम छोड़कर जाता रहा...
हम दोनों के रिश्ते में बस यही एक फ़र्क़ था
वो अपने रिश्ते जोड़कर आती रही
और मैं अपने रिश्ते तोड़ता चला गया...
हम दोनों के प्यार में बस यही एक फ़र्क़ था
वो सबसे प्यार करती चली गई
और मैं उससे ही प्यार करता चला गया...
हम दोनों की समझदारी में बस यही एक फ़र्क़ था
वो सबको लेकर चलती रही
मैं उसे ही लेकर चलता रहा...
हम दोनों के फ़रेब में बस यही एक फ़र्क़ था
वो कहकर वफा बनी रही
मैं सुनकर बेवफ़ा बनता गया...
हम दोनों के अलग होने में बस यही एक फ़र्क़ था
वो शीशे से कब की निकल गई
और मैं शीशे का मक्खी बनता चला गया...
अविनाश रंजन गुप्ता
Bahut khub
ReplyDeleteHats off
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