डायरी लेखन उदाहरण - 4
दिनांक
– 29/07/2017
दिन
– शनिवार
समय
- 09:30 PM
आज
मेरी जीवनसंगिनी ओपेरेशन थिएटर में हमारे प्रेम के साकार रूप को जन्म देने के लिए
डॉक्टर और नर्सों समेत जब गई तब मेरी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं थी। सिर्फ एक ही
इच्छा थी सब कुछ सही से हो जाए। मैं उस रेड बल्ब के बुझने का इंतज़ार कर रहा था तभी
रेड बल्ब बुझ गई और एक नर्स मेरे नवजात पुत्र को लेकर बाहर आई। मेरे चेहरे पर अथाह
खुशी अपने अर्ध रूप में थी पर जब नर्स ने मेरे प्रश्न का उत्तर मेरी इच्छानुसार दे
दिया तो मैं पूरा खुश हो गया। मेरा सवाल था, “मेरी पत्नी ठीक है न।” थोड़ी
देर बाद मेरी पत्नी बाहर आई नवजात शिशु को भी उसके पास रख दिया। मेरा पुत्र रो रहा
था और और हम सब सगे-संबंधी खुशी से मुस्कुरा रहे थे। मन में एक विचार आया पुत्र
आजीवन ऐसे ही कर्म करना कि जब तुम जीवन के अंतिम क्षणों में होगे तो तुम मुस्कराओ
और सब रो रहे होंगे।
अविनाश
रंजन गुप्ता
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