Baal Kavta on Toys खिलौना

खिलौना
एक खिलौना घर से इकला ।
सैर जगत की करने निकला ॥
छाया मिली-उसे चमकाया ।
देखा दुःख--उसे छलकाया ॥
मिली उदासी उसको खोला।
उसमें थोड़ा मीठा घोला ॥
क्रोधी मिला  उसे दिखलाया ।
जो था उसमें दोष समाया ॥
भेंट किया रोते नैनों से।
भरा उन्हें सुख के सैनों से ॥
लखा दुखी मुख, उसमें छोड़ा।
मीठा एक हँसी का रोड़ा।
कोई दुखिया मिला अकेला ।
साथ उसी के क्षण भर खेला ॥
बड़े बड़े कामों का निकला।

चला खिलौना जो था इकला ॥

Comments