Baal Kavita तितली
तितली
आओ ! तितली
रानी! आओ !
नहीं दूर से
चित्त चुराओ ॥
उँगली पर बैठाऊँ
तुमको ।
जहाँ कहो
पहुँचाऊँ तुमको ।।
तुम सी सुंदर औ' सुकुमारी ।
देखी मैंने और न
नारी ॥
कोमल पंख मनोहर ऐसे
।
ईश बना लेते हैं कैसे
?
तिनके के ऊपर
सोती हो।
ओस कणों से मुँह
धोती हो ।
महक फल की पीती
हो तुम ।
इतने ही से जीती
हो तुम ।
महलों की परवाह नहीं
है।
धन दौलत की चाह नहीं
है ।।
पहने एक निराली
साड़ी ।
फिरती हो तुम झाड़ी-झाड़ी
।।
किसे ढूँढ़ती हो
बतलाओ ?
आओ ! कानों में
कह जाओ।
क्या जिस प्रभु
ने तुम्हें बनाया ।
उसका अब तक पता
न पाया ?
हे फूलों की नई
कुमारी !
देख तुम्हारी सूरत
प्यारी ॥
यह आता है मेरे मन
में।
मैं भी बसूँ किसी
उपवन में ।
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