Baal Kavita on ऐसा मत करो

ऐसा मत करो
उल्लू को चाह अँधेरे की,
दीपक उसको दिखलाओ मत ।
गदहा घूरे पर घूमेगा,
बागों में उसे बुलाओ मत ॥
क्या भैंस गीत का रस जाने,
उसके ढिग बीन बजाओ मत ।
कौवे को चाट निबौरी की,
आमों पर उसे उड़ाओ मत ॥
गीदड़ न ठहर सकता रण में,
जयमाल उसे पहनायो मत ।
बिल्ली न निरामिश हो सकती।
उसके सिर तिलक लगाओ मत ॥
नहिं दुष्ट दुष्टता तज सकते,
है व्यर्थ उन्हें समझाओ मत ।
हाँ, अगर चाह है उन्नति की,
मुँह उनको कभी लगाओ मत ।।


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