Baal Kavita on बाल-लीला
बाल-लीला
हैं बस हिलती डुलती पुतली ।
अभी बोलते बोली तुतली ।।
पर ये दोनों आँखें प्यारी ।
सदा माँगती दुनिया सारी ॥
इनकी अजब अजीब कहानी ।
चाहे पत्थर हो या पानी ॥
रखते जग में सब से नाता।
कोई माता कोई भ्राता ॥
कभी चोर बनते छिप जाते।
जूजू बन कर कभी डराते ॥
या कोयल बन कू ! कू ! गाते।
तरह-तरह के वेष बनाते ॥
जो लखते उस पर ललचाते ।
आ जा, आ जा, उसे बुलाते ॥
आता अगर न तो झल्लाते ।
बड़े-बड़े आँसू टपकाते ॥
जिसको इतना रोकर पाते।
छिन में भूल उसी को जाते ॥
किसी और हित मुँह कर गीला।
बड़ी निराली इनकी लीला ।।
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