Baal Kavita on चूहा


चूहा
बैठे बैठे दिन भर बिल में ।
क्या सोचा करते हो दिल में ?
चूहे जी बाहर तो आओ ।
कोई अपनी कथा सुनाओ ।
कुतर नई गुड़ियों की धोती।
किस लड़की को छोड़ा रोती ?
किस लड़के की पुस्तक सुंदर
काट छिपे हो बिल के अंदर?
किसके तुमने चने चबाए ?
किसके तुमने चावल खाए ?
किसका तुमने घी पी डाला ?
चुरा ले गए किसकी माला ?
कितने जूठे बरतन चाटे ?
किए कहाँ तक सैर सपाटे ?
कितनी चतुर बिल्लियों से बच ।
आए हो बतलाना सच सच ?
दाँत बने हैं तेज तुम्हारे।
ये चोखे हथियार तुम्हारे ।।
इनके ही बल हो मनमाना ।
तुम खोदा करते बिल नाना ॥
पर दुम है कुछ काम न देती ।
उल्टा जान तुम्हारी लेती ।।
पकड़ उसे यदि कौवे पाते ।
तुम्हें उठा ले जाते खाते ॥
करके किसकी नकल निराली !
तुमने ऐसी दुम लगवा ली ?
कुछ तो यूँ ! चूँ ! बोलो प्यारे !
 छिपे हुए हो क्यों मन मारे ?



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