Baal Kavita on मेरी माता
मेरी माता
मेरी माता बड़ी
निराली ।
मुझको देख बजाती
ताली ॥
आँगन में
दौड़ाती मुझको।
हँसती और हँसाती
मुझको ॥
जाती जहाँ मुझे ले
जाती।
नए-नए कपड़े पहनाती
।।
खेल-खिलौना खूब
मँगाती।
और कहानी रोज
सुनाती ।।
मुझे सुलाती मुझे जगाती।
मुझे हिलाती मुझे
झुलाती ।।
मुझे खिलाती
मुझे पिलाती।
छोड़ मुझे वह
कहीं न जाती ।।
उसका तन मेरा ही तन
है।
उसका मन मेरा ही मन
है ।
उसका कर मेरा ही
कर है।
है वह तो न किसी
का डर है ।
मेरा उसका नाता
सच्चा ।
मैं हूँ उसका प्यारा
बच्चा ॥
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