baal Kavita on कौन लिखता है?

कौन लिखता है?
सूरज डूबा लैंप जलाया हो आई कुछ रात,
नन्हीं मुन्नी दोनों बैठी लेकर कलम दवात ।
लगीं लिखने वे कुछ ज्योंही,
उठा उर प्रश्न यही त्योंही ।
कलम, दवात, हाथ, या कागज लिखता इनमें कौन
इसी सोच में बड़ी देर तक बनी रहीं वे मौन ।
बाद को मुन्नी यों बोली
कलम ही लिखती है भोली !
नन्हीं बोली-अच्छा तो दवात को कर दो दूर ,
देखो कैसे कलम लिखेगी जिसका तुम्हें गरूर ।
चूर हो जाएगी सारी ,
न लिख पाएगी बेचारी।
मुन्नी बोली तो लिखती हैं दोनों मिलकर साथ ,
नन्हीं बोली अच्छा तो अब नहीं लगाओ हाथ ।
देखना लिखती हैं कैसे .
हाथ यदि दूर रहा उनसे ।
थोड़ी देर सोचकर मुन्नी फिर बोली तत्काल ,
तीनों मिलकर लिख सकते हैं भला-बुरा सब हाल ।
हाथ कंगन को दर्पण क्या ?
अभी जो चाहो लो लिखवा ।
हँसकर तुरत कहा मुन्नी ने-कागज रक्खो दूर ।
इन तीनों को कर लेने दो बल अपना भर पूर।
लिखेंगे कहाँ बताओ जी?
न मुझको यो फुसलाओ जी ।
अच्छा चारों मिल जाने पर क्या न लिखेंगे नेक ,
मुन्नी ने की इसी बात के दिखलाने की टेक ।
लगी वह लिखने कुछ ज्योंही ,
हिलाया नन्हीं ने त्योंही ।
केश पकड़कर ताने उसके खूब दिया झकझोर ,
छूटी कलम सियाही विखरी चला न कुछ भी जोर ।
कहा बतलाती भी जाओ,
साथ ही लिखती भी जाओ।
थी मुन्नी चालाक बड़ी ही कहा--हिलै नहि गात,
मन भी लगा रहे लिखने में करो न तुम कुछ बात ।
और हों चारों वे बाते
बिताएँ तो लिखते रातें।
इसके सिवा जिसे होवेगा जितना ज्यादा ज्ञान,
उतना ही उसका होवेगा जग में लेख महान ।
हार अब नन्हीं ने मानी,
नीति यह दोनों ने जानी ।
प्यारे शिशुओ ! उक्त कहानी का उर में रख ध्यान,
लिखो पढ़ोगे तो हो जाओगे तुम भी विद्वान ।
न होगी कुछ भी कठिनाई,

भूलना मत इसको भाई।

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