Baal Kavita on बंदर


बंदर
डाली पर क्या करता बंदर?
आ जा मेरे घर के अंदर।।
चालाकी न दिखा चितवन में।
अपना मुख लख जा दर्पण में ।।
कर ले ध्यान नहा कर थोड़ा।
पूजा से क्यों है मुख मोड़ा?
और करेगा यदि नादानी ।
तो न कहाएगा तू ज्ञानी ।।
घुड़की तेरी जान गए हम ।
तुझको अब पहचान गए हम ॥
यदि अब भी तू दूर रहेगा।
अपने मद में चूर रहेगा ।।
तो न चने हमसे पाएगा।
नाहक भूखा रह जाएगा ।।
बुला रहे हैं तुझे अज्ञानी !
बढ़ा न व्यथा अधिक हैरानी ।।
होली का है दिवस नहा ले ।
तन में सभी अबीर लगा ले ।।
देंगे हम तुझको पिचकारी ।
रंगभरी सोने की न्यारी ।।
उसे चलाना गीते गाना।
लड़कों में मिल धूम मचाना ।।
पर न किसी को दाँत दिखाना ।
नहीं पड़ेगा डंडा खाना ।।



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