Baal Kavita on वर्षा की बूँदें


वर्षा की बूँदें
बड़ी बड़ी बूँदें  पड़ती हैं,
बड़ा मजा है बड़ा मजा।
जल्दी निकलो घर से बाहर,
बड़ा मजा है बड़ा मजा ॥
दल के दल दौड़े आते हैं,
देखो बादल के कैसे ।
छुट्टी का घंटा बजते ही,
भागते हैं लड़के जैसे ॥
डाली-डाली पर पेड़ों की,
नाच रही है हरियाली ।
खुश हो मुन्नी बजा रही है,
अपनी छत पर से ताली ॥
पूँछ उठा कर दौड़ रही हैं,
घीस की तीनों गाएँ।
इस चबूतरे पर चढ़ आओ,
यहाँ भी न वे आ जाएँ॥
कैसी ठंडी हवा बही है,
कैसा समय निराला है!
देखो उस ऊँचे पीपल में,
किसने झूला डाला है।
सूरज का न पता चलता है,
कैसा बढ़ा अँधेरा है।
खूब घुमड़ कर आज घनों ने,
आसमान को घेरा है।
अरे, सुनो तो कैसी प्यारी,
बोली बोल रहा है मोर ।
आओ हम भी दौड़ चले अब,
फौरन उसी बाग की ओर ॥
ओहो ! भाई, भागो भागो,
लगा बरसने पानी अब ।
पेड़ तले बच नहीं सकेंगे,
कपड़े भीग जाएँगे सब ॥



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