Baal Kavita on गर्मी का छाता
गर्मी का छाता
डाली डाली
की हरियाली
का न रहा वह साज ।
विकल बड़ी है,
गिरी पड़ी है,
सूखी पत्ती आज ॥
मोटे कपड़े,
तन को जकड़े,
करते हैं हैरान ।
जरा नभाते,
अति गरमाते,
खाए लेते जान ॥
राह बड़ी है,
धूप कड़ी है,
उड़ती है अति धूल ।।
जल्दी माता, मँगवा छाता,
जाना मुझको स्कूल ॥
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