Baal Kavita on Shreeram श्रीराम


श्रीराम
हम लाड़ले हैं राम के हम राम की संतान हैं।
अब भी हमारी जीभ पर सब राम के गुण गान हैं ।
जब राम थे निर्दोष हम दोषी कहाएँगे नहीं ।
श्रीराम के शुभ नाम पर कारिख लगाएँगे नहीं ।
माता-पिता का मान करना राम ही थे जानते ।
निज भाइयों को प्यार करना राम ही थे जानते ॥
हम भी घरों में प्रेम की गंगा बहाएँगे सदा ।
झगड़े न आपस के हमें आकर सताएँगे सदा ॥
तज राज धन, बन-बन बिचरना राम ही का काम था ।
निज देश का सब दुःख हरना राम ही का काम था ।
हम भी दुखी लख देश को सुख नींद सोवेंगे नहीं ।
श्रीराम के शुभ नाम का अभिमान खोएँगे नहीं।
रावण सरीखे शत्रु से थे राम भय खाते नहीं।
यह बात होती तो उसे जल्दी हरा पाते नहीं ॥
हम भी खलों के सामने निज सिर झुका सकते नहीं।
जब शत्रु होगा सामने तब हम लुका सकते नहीं ।
अब भी बनी है राम की हममें बड़ी वह वीरता।
अब भी बनी है राम की हममें बड़ी वह धीरता ।।
तो क्यों न लेकर राम का हम नाम फिर जय बोल दे।
निज देश की दुख-दीनता के बंधनों को खोल दें।



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