Baal Kavita on Motor मोटर
मोटर
आज बन गया हूँ
मैं मोटर ।
हटो नहीं खाओगे
ठोकर ।।
पों पों पों पों
भागो यारो !
मेरा रस्ता त्यागो
यारो !
दूर बहुत जाना
है मुझको ।
फिर वापस आना है
मुझको ॥
काम दौड़ना सरसर
मेरा।
दिर भर करता रहता
फेरा॥
जब आएगी रात अँधेरी
लखना भारी आँखें
मेरी ॥
जिधर-जिधर से निकलूँगा
मैं ।
दिवस-रात को कर दूँगा
मैं ॥
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