baal Kavita on Mitti Ka Lal


माता का लाल
दीन दुखी जन की पुकार पर,
जो नित कदम बढ़ाता है ।
भूखा देख साथियों को निज,
जो भूखा रह जाता है।
अंधों को मौका पड़ने पर,
जो उँगली पकड़ाता है ।
रोती आँखें देख आँख में
जिसके जल भर आता है।
जो न कभी भय खाता है,
खड़ा क्यों न हो सम्मुख काल ।
कहलाता है वही जगत में,
दयामयी माता का लाल ॥


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