Baal Kavita On Krishna कृष्ण


कृष्ण
देश में जब बढ़ गया था खूब अत्याचार ।
जेल में तब था लिया श्रीकृष्ण ने अवतार ।
बेड़ियों में थे कसे माँ बाप भी लाचार ।
नाचती थी ओर चारों कंस की तलवार ।।
किंतु बालक कृष्ण का टेढ़ा हुआ नहीं बाल ।
रात ही भर में गए वे नन्द के बन लाल ॥
देख उनकी बाल लीला का बड़ा व्यापार ।
प्राण से भी बढ़ उन्हें करने लगे जन प्यार ।।
गूँजने बन में लगी अति बाँसुरी की तान ।
मिल गया जिसमें अनोखा गोपियों का गान ।।
औ लगीं गौवें विचरने दूध देने खूब ।
घी दही खा खा हुए सब लोग मोटे खूब ।।
कंस को भी एक दिन डाला उन्होंने मार ।
दुष्टता से था दुखी जिसके सभी संसार ॥
हो गया आनन्द ही आनन्दमय मब देश ।
था किसी भी जीवधारी को नहीं कुछ क्लेश ।।
देख कर कठिनाइयों की सामने दीवाल ।
चाहिए तुमको न हिम्मत हार बैठो लाल !
"सत्य की होती सदा है जीत" कहते श्याम ।
जीत से मुख मोड़ना है कायरों का काम ॥


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