Baal Kavita on India भारतवर्ष
भारतवर्ष
प्यारा भारतवर्ष हमारा,
देश बड़ा ही नामी है।
तीन लोक से न्यारा है यह,
सब देशों का स्वामी है ॥
ऋषियों की यह तपोभूमि है,
वीरों की यह धरती है।
स्वर्ग भूमि भी इसकी समता,
करने से नित डरती है ।
बादल से भी ऊँचा उठता,
मुकुट हिमालय है इसका ।
सूरज की किरणें सोने से,
मढ़ देती हैं तन जिसका ॥
बहती है गंगा की धारा,
अमृत-सा जिसका जल है ।
चूम रहा है चरण समंदर,
जिसमें अति अपार बल है ॥
जन्म लिया था यहीं राम ने,
पैदा हुई यहीं सीता।
यहीं चराई गाय श्याम ने,
बंशी के बल जग जीता ।।
पहले-पहल यहीं ऋषियों ने,
मंत्र वेद का गाया है।
ज्ञान यहीं से अपना सारा,
इस दुनिया ने पाया है।
बड़े भाग्य से दिया यहीं ,
हमको भी जन्म विधाता ने ।
पहले-पहल इसी पृथ्वी पर ,
खड़ा किया है माता ने।
इसके ही जलवायु आदि से,
बना हमारा यह तन है।
इसके रंग-बिरंगे फूलों
को लख फूल रहा मन है ।
इसीलिए हम कहते हैं,
यह भारतवर्ष हमारा है।
माता की गोदी-सा हमको ,
जो सदैव ही प्यारा है।
हरे भरे खेतों में इसके,
भरा हमारा है जीवन ।
क्यों न निछावर कर दें इसपर ,
हम भी अपना तन मन धन ।।
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