Baal Kavita on Cow गो माता


गो माता
क्यों उदास मुख खड़ी हुई हो,
बतलाओ तो गो माता ?
किस चिंता में गड़ी हुई हो,
बतलाओ तो गो माता ?
हड्डी-हड्डी दिखलाती है,
आज तुम्हारी गो माता !
क्यों न हँसी तुमको आती है ,
आज हमारी गो माता ?
नहीं पेट भर पाती हो क्या ,
घास-पात भी गो माता ?
भूखी ही रह जाती हो क्या,
रात-रात भर गो माता ?
बैल तुम्हारे पूत उगाते ,
खेती बारी गो माता !
जिसके बिना न हम जो पाते ,
हरगिज प्यारी गो माता !
दूध, दही, घी और मलाई ,
तुम देती हो गो माता !
भार हमारी सदा मलाई ,
का लेती हो गो माता !
पाती हो न पेट भर चारा ,
अगर हमारी गो माता !
तो भारी अपराध हमारा ,
है यह प्यारी गो माता !
ईश्वर हममें बल दे सेवा ,
करें तुम्हारी गो माता !
इसमें ही हैं सारे मेवा ,
धरें यही चित गो माता !
माताएँ हैं, तीन हमारी ,
अम्मा, पृथ्वी, गो माता !
इन तीनों के बिना सहारे,
जुड़े न और नेह नाता ॥


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