Baal Kavita on Cat बिल्ली


बिल्ली
मेरे घर जो आती बिल्ली ।
वो, बड़ी है चिबिल्ली ॥
जाने निकल कहाँ से आती ।
सम्मुख धरा दूध पी जाती ॥
दौड़-दौड़ हैं सब थक जाते।
कोई उसको पकड़ न पाते ॥
इस घर से जाती उस घर में।
ओझल हो जाती पल भर में ॥
दूध-दही सब जूठा करती।
नहीं किसी से है वह डरती ॥
चुपके चुपके आती-जाती।
पकड़-पकड़ चूहों को खाती ॥
जब-जब उसे बुलाता हूँ मैं।
दूध-दही दिखलाता हूँ मैं |
तब-तब म्याऊँ म्याऊँ करती ।
किन्तु निकट आने से डरती ।।
अति उत्पात मचाती है वह ।
सबको नाच-नचाती है वह ॥
जाएगी यदि पकड़ चिबिल्ली ।।
अम्मा भिजवा देंगी  दिल्ली ।


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