Baal Kavita on Cart इक्का
इक्का
खड़-खड़ करता आता इक्का ।
गलियों में भी जाता इक्का ।।
हिलता खूब हिलाता इक्का ।
काहिल नहीं बनाता इक्का ।।
लखो जरा इक्के का घोड़ा ।
औ' इक्के वाले का कोड़ा।
दोनों की है शान निराली ।
दोनों की है बान निराली ।
जो बैठा है इक्के वाला ।
उसका भी है ठाट निराला ॥
जहाँ खड़ा होता है घोड़ा।
तड़-तड़ वहीं जमाता कोड़ा ॥
जिसे न मिलती मोटर टमटम ।
इक्का उसको करके छमछम ।।
सभी जगह पहुँचा आता है।
सस्ते में ही मिल जाता है ।
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