Baal Kavita Frog मेंढक


मेंढक
टर्र ! टर्र ! टर्र !
आँधी आई बादल उमड़े, पानी बरसा घोर ।
लल्लू ने उठ सुना सबेरे, बड़े जोर का शोर ॥
टरटों! टर्र ! टर्र ! टर्र !
हा! हा ! अम्मा ! टरटों टरटों ! आज पुकारे कौन ?
वही अभी तक छिपा रहा जो मिट्टी में हो मौन ।
टरटों ! टर्र ! टर्र ! टर्र !
कर सकता था जो न चू तलक, उसकी यह आवाज ।
ओछे जन पा साथ बड़ों का यों ही करते नाज ।।
टरटों ! टर्र ! टर्र ! टर्र!
वर्षा जरा बीत जाने दो, तब फिर देना ध्यान ।
सब टरोना छोड़ मियाँ का, होगा कबर पान
टरटों ! टर्र ! टर्र ! टर्र !




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