Baal Kavita Vasant
वसंत
आया बच्चों
! वसंत आया ।
सब
पेड़ों में फूल फलाया ।।
फिर
से नई हुई हरियाली ।
दुलहिन
सी लचकी तरु-डाली ॥
भौंरों
के दल के दल आए ।
संग में
मधु-मक्खियाँ लिवाए ॥
मस्त
हुए हैं सब मन-मन में ।
वंशी-सी
बजती है बन में ॥
कूक
रही है कोयल काली ।
बजा
रहे हैं लड़के ताली ॥
और
कूक वैसी ही भरते ।
खूब
नकल कोयल की करते ।
मह-मह
गलियाँ महक रही हैं।
चह-चह
चिड़ियाँ चहक रही हैं ।
बढ़ीं
उमंग सब के मन में ।
दूना
बल आया है तन में ।
हे
वसंत ! ऋतुओं के राजा !
मुझको
इतनी बात सिखा जा ॥
नित
मैं फूलों-सा मुस्काऊँ।
सुख
से सब का मन बहलाऊँ ॥
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