baal Kavita on Water पानी
पानी
बादल है पानी की माया ।
सागर है पानी की काया ॥
नदी और तालाब निराले ।
गए सभी पानी से ढाले ।
पानी में हम नाव चलाते ।
पानी में हम रोज नहाते ॥
पानी में हम पाते मोती ।
पानी से है खेती होती ।।
पानी में लकड़ी बहती है।
पानी में मछली रहती है ।
पानी ही से है हरियाली।
पानी है ईश्वर का माली ।।
पानी लाओ ! पानी लाओ !
प्यास लगी है पानी लाओ ॥
ठंडा पानी पीता हूँ मैं।
पानी के बल जीता हूँ मैं॥
पानी तो है बड़े काम का।
फिर भी मिलता बिना दाम का ॥
ऐसे ही होते वे बच्चे ।
जग के हैं सेवक सच्चे ॥
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