Baal Kavita On Stars तारे


तारे
कैसे चमक रहे हैं तारे ।
आसमान तो लख अम्मा रे!
मानो हों आँखें तेरी ही।
लखती हों सूरत मेरी ही।
अगर कहीं ये शोर मचावें ।
तो न रात हम सोने पावें ॥
हैं चुपचाप काम निज करते।
लेकिन नहीं किसी से डरते ॥
पर जब लड़के पढ़ने जाते ।
बहुत-बहुत वे शोर मचाते ॥
हार मास्टर भी जाता है।
हल्ला पर न दबा पाता है।
बिना मास्टर और बिना डर।
रहे शान्ति से तारे सुन्दर ।
शिशु की सुन ये बातें भोली।
हँस करके माता यों बोली।
जो लड़के यह समझें लल्ला ।
तो न मदरसे में हो हल्ला ॥


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