Baal Kavita On Sky आकाश


आकाश
जिसमें अपनी नाव चलाता,
दिन भर सूरज चमकीला ।
और रात में तारों को ले,
चंद्र जहाँ करता लीला ॥
जिसकी गोदी में शिशु-हाथी,
सा फिरता बादल गीला ।
हिलती हरियाली के ऊपर,
छाया जो नीला-नीला ॥
वह ही है आकाश बालको,
जिसका है कुछ ओर न छोर ।।
गर्व बड़प्पन का हो जिसको,
पहले देखे उसकी ओर ॥



Comments