Baal Kavita On God ईश्वर


ईश्वर
यह दुनिया है जिसकी माया,
नाम उसी का ईश्वर है।
जिसने सारा जगत बनाया,
नाम उसी का ईश्वर है ।।
जो है सारे जग का पालक,
नाम उसी का ईश्वर है।
हैं जिसके हम सारे बालक,
नाम उसी का ईश्वर है ।
उससे ही निकले हैं बच्चो!
आग हवा पृथ्वी पानी ।
उससे ही आकाश बना है,
है, वह बड़ा बली ज्ञानी ।।
अंत किसी को मिला न उसका,
वह अनंत कहलाता है।
पार नहीं उसकी महिमा का,
कोई जग में पाता है।
दिन है बच्चो तेज उसी का,
रात उसी की छाया है।
उससे ही सब खेल तमाशा,
इस दुनिया ने पाया है ॥
चींटी से लेकर हाथी तक,
उसने सभी बनाया है।
देखो कैसा कारीगर है,
कैसा जग उपजाया है ॥
ईश्वर दर्पण में अपना मुँह देखो,
और जोर से हँसो जरा ।
कह सकता है कौन नहीं,
है इसमें अति आश्चर्य भरा ॥
कान बने बाजे सुनने को,
आँख तमाशे लखने को।
जीभ बनी बातें करने को,
मीठी चीज़ें चखने को॥
साँस नाक से लेते हो तुम,
बास मनोहर पाते हो ।
मोती से क्या दाँत बने हैं,
जिनसे मेवा खाते हो ।
क्या चतुराई से चेहरे की,
सूरत गोल बनाई है।
देखो कारीगरी अनोखी,
कैसी खेल दिखाई है।
इसी तरह तुम जो देखोगे,
उस पर ही चकराओगे ।
नहीं दोष ईश्वर की रचना,
में कोई लख पाओगे।
पेड़ों की पत्ती-पत्ती को,
वह सँवारने वाला है।
राजाओं का राजा है वह,
उसका ठाट निराला है ॥
चिड़ियों में वह चहक रहा है,
महक रहा है फूलों में ।
हिलती डाली-डाली के वह,
झूल रहा है झूलों में ।
नाव चंद्र की खेता है वह,
हँसता है वह तारों में ।
लहरों पर वह लोट लगाता,
बहता है जल धारों में ॥
ऐसी कोई चीज़ नहीं है,
जिसमें उसका वास न हो।
ऐसा कोई मनुज नहीं है,
जिसके वह अति पास न हो ।।
लड़कों में वह खेला करता,
पर न देख हम पाते हैं।
गुण-अवगुण सब हम लोगों के,
उसको किंतु लखाते हैं ।।
सच्चा स्वामी सबका है वह,
वही सुखों का दाता है।
वही हमारा परम पिता है,
वही हमारी माता है।
जो जन उससे प्रेम बढ़ाता,
सादर शीश झुकाता है।
सूरज-सा उसको वह स्वामी,
त्रिभुवन में चमकाता है ।


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