और से जुड़े कुछ मुहावरे By Avinash Ranjan Gupta
और से जुड़े कुछ मुहावरे भी काफी चलन में हैं, जैसे-
और का और होना – बहुत अधिक उलटफेर होना, जैसा होना चाहिए उससे अलग या भिन्न, विपरीत – देखते ही देखते देश और का और हो गया।
राजू सदा और का और समझता है।
और क्या – (इसके सिवा और कुछ नहीं, यही तो) इसका प्रयोग हम बोलचाल की भाषा में यदा-कदा करते रहते हैं।
जैसे,
प्रश्न – क्या तुम अभी घर जाओगे?
उत्तर – और क्या। (इसके सिवा और कुछ नहीं, यही तो)
प्रश्न – क्या इसका उत्तर यही है?
उत्तर – और क्या। (इसके सिवा और कुछ नहीं, यही तो)
और तो और (दूसरों का ऐसा करना तो उतने आश्चर्य की बात नहीं, दूसरों से या दूसरों के विषय में ऐसी संभावना हो
भी) का प्रयोग आश्चर्यसूचक या उत्साहवर्धक अर्थ में होता है।
और तो और स्वयं सभापति जी नहीं आए।
और तो और ये क्लर्क भी हमारे सामने बातें करता हैं।
और तो और पहले आप ये काम तो कीजिए।
और ही कुछ होना – (निराला होना,
विलक्षण होना)
अविनाश कुछ और ही इंसान है।
तुम प्रतिभा के मामले में कुछ और ही हो।
और तो क्या- (और बातें तो दूर रही, और बातों का तो जिक्र ही क्या, उचित तो बहुत कुछ
था) के संदर्भ में
और तो क्या उन्होंने बैठने तक को नहीं कहा।
और तो क्या भला एक गिलास पानी ही पिला देते।
और लो, और सुनो या लो, और सुनो - (अर्थात् अब तक जो सुन चुके हो उसके अतिरिक्त कुछ नई परंतु
विलक्षण बात) किसी की बातों पर निंदात्मक टिप्पणी के उदेश्य से ऐसा प्राय: कहा
जाता है।
लो, और सुनो, इन महात्मा को।
इतना कम है तो लो, और
सुनो...
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