बेटियों की विदाई Betiyon Ki Vidaai


बेटियों की विदाई
बेटियाँ चावल उछाल
बिना पलटे,
महावर (उबटन) लगे कदमों से विदा हो जाती हैं ।
छोड़ जाती हैं बुक शेल्फ में,
कवर पर अपना नाम लिखी किताबें ।
दीवार पर टंगी खूबसूरत आइल पेंटिंग के एक कोने पर लिखा अपना नाम ।
खामोशी से नर्म एहसासों की निशानियाँ,
छोड़ जाती है ......
बेटियाँ विदा हो जाती हैं ।
रसोई में नए फैशन की क्रॉकरी खरीद,
अपने पसंद की सलीके से बैठक सजा,
अलमारियों में आउट डेटेड ड्रेस छोड़,
तमाम नयी खरीदादारी सूटकेस में ले,
मन आँगन की तुलसी में दबा जाती हैं ...
बेटियाँ विदा हो जाती हैं।
सूने सूने कमरों में उनका स्पर्श,
पूजा घर की रंगोली में उँगलियों की महक,
बिरहन (अलग होना) दीवारों पर बचपन की निशानियाँ,
घर आँगन पनीली (अश्रु) आँखों में भर,
महावर लगे पैरों से दहलीज़ लाँघ जाती है....
बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं ।
एल्बम में अपनी मुस्कुराती तस्वीरें ,
कुछ धूल लगे मैडल और कप ,
आँगन में गेंदे की क्यारियाँ उसकी निशानी,
गुड़ियों को पहनाकर एक साड़ी पुरानी,
उदास खिलौने आले में औंधे मुँह लुढ़के,
घर भर में वीरानी घोल जाती हैं ....
बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं।
टी.वी. पर शादी की सी.डी. देखते देखते,
पापा हट जाते जब जब विदाई आती है।
सारा बचपन अपने तकिये के अंदर दबा,
जिम्मेदारी की चुनर ओढ़ चली जाती हैं ।
बेटियाँ चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती हैं ।
संकलित

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