‘पंच परमेश्वर’ कहानी की समीक्षा Panch Parmeshwar Kahani Ki Sameeksha By Avinash Ranjan Gupta


पंच परमेश्वर कहानी की समीक्षा
पंच परमेश्वर  
मुंशी प्रेमचंद 

          मुंशी प्रेमचंद का मूल नाम लाला धनपतराय था। उनका जन्म 31 जुलाई, 1880  में बनारस के लमही नामक गाँव में हुआ। उनकी साहित्य-रचना में कुल 320 कहानियाँ और 14  उपन्यास शुमार हैं।

          यह कहानी जुम्मन शेख़, अलगू चौधरी और जुम्मन शेख़ की मौसी के बीच हुए मतभेदों के इर्द-गिर्द घूमती है। जुम्मन ने अपनी मौसी को बहला-फुसला कर उसकी ज़मीन अपने नाम करवा ली और फिर मौसी के प्रति उसका सारा आदर-सत्कार धरा का धरा रह गया। मौसी इस मामले को पंचायत में ले आती है, जहाँ पंच के रूप में मौसी ने अलगू को चुना। जुम्मन और अलगू बचपन से पक्के मित्र हैं फिर भी अलगू ने जब सच का साथ दिया और जुम्मन के विपक्ष में फ़ैसला सुनाया तो जुम्मन उसका परम शत्रु बन गया।   कुछ दिनों के पश्चात् अलगू के  किसी मामले में  को जुम्मन फ़ैसला सुनाना था।  जुम्मन ने न्याय का साथ देते हुए अलगू के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और दोनों के हृदय का मैल उनके आँसुओं से धुल गया।

          यह कहानी प्रेमचंद की पहली कहानी है और इसमें प्रेमचंद ने नारी सशक्तीकरण की अलख जगाने की सफल कोशिश की है।

           
           असल में 'पंच परमेश्वर' ग्रामीण जीवन के छल-प्रपंचों, दोस्ती, भाईचारा, न्याय-अन्याय के चक्र को परिभाषित करती हुई एक सजीव कहानी है और मैं यह कहानी उन सभी पाठकों से पढ़ने का निवेदन करूँगा जो ग्रामीण जीवन शैली से रू-ब-रू होना चाहते  हैं।

समीक्षक : अविनाश रंजन गुप्ता
दिनांक : 02.12.2018

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