मेरी पहली हवाई यात्रा Meri Pahali Hawai Yatra By Avinash Ranjan Gupta



मेरी पहली हवाई यात्रा
     मेरी पहली हवाई यात्रा जितनी लोमहर्षक थी उतनी ही कौतूहल से भरी हुई। जब यान रनवे पर भाग रहा था तो चेहरे की उत्साहजनित भावों को छिपा पाना मेरे लिए मुश्किल हो गया था। ऊपर से मैंने जब नीचे देखा तो सब चींटियों की भांति दिख रहे थे। मुझे थोड़ा अपने पर गर्व हुआ पर दूसरे ही पल यह विचार आया की नीचे वाले जब इस उड़ते यान को देखते होंगे तो उन्हें यह उस चींटी की तरह लगती होगे जिसके पर (पंख) निकल आए हैं। और ध्यान देने वाली बात यह कि मुझे रहना तो नीचे ही हैं न-

उड़ान बड़ी चीज़ होती है,
रोज़ उड़ो पर शाम को नीचे आ जाओ
क्योंकि.....

आप की कामयाबी पर तालियाँ  बजाने वाले
और गले लगानेवाले सब नीचे ही रहते हैं।


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