हर पिता के भाग्य मे बेटी नहीं होती Importance of daughter


हर पिता के भाग्य मे बेटी नहीं होती
राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुँचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया।
तभी दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी के चरण छू लिए। चौंककर जनक जी ने दशरथ जी को थाम लिया और बोले महाराज आप मुझसे बड़े है और तो और वरपक्ष वाले है ये उल्टी गंगा कैसे बहा रहे हैं .....?
इस पर दशरथ जी ने बड़ी सुंदर बात कही, महाराज आप दाता हैं कन्यादान कर रहे  हैं, मैं तो याचक हूँ आपके द्वार कन्या लेने आया हूँ ,,अब आप ही बताइए  दाता और याचक में बड़ा कौन है?
यह सुनकर जनक जी की आँखों से अश्रुधारा बह निकली..... ।।
भाग्यशाली हैं वे लोग जिनके घर में होती हैं बेटियाँ, हर बेटी के भाग्य मे पिता होता है लेकिन हर पिता के भाग्य मे बेटी नहीं होती ।।
बेटी बचाओ समाज बचाओ....स्वाभिमान



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