प्रश्न कीजिए Prashn Kijie By Avinash Ranjan Gupta


प्रश्न कीजिए       
     यक्ष ने जब बारी-बारी चारों पांडवों से प्रश्न किया और प्यास के कारण चारों पांडवों ने यक्ष के प्रश्नों के उत्तर देने से पहले पानी पीना उचित समझा तो यक्ष के कोप (Wrath) से उन्हें जीवन हानि हुई। अपने भाइयों की तलाश में आए युधिष्ठिर से जब यक्ष ने प्रश्न किया तो युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देना प्रथम कार्य माना और संतोषजनक उत्तर देकर अपने भाइयों को पुनः प्राणवान किया।           
     किसी के प्रश्नों का उत्तर देना और किसी से प्रश्न पूछना इन दोनों प्रक्रियाओं से हम हमेशा गुज़रते रहते हैं। दूसरों के प्रश्नों का उत्तर देकर हम अपनी शिक्षा, धैर्य, ज्ञान और आचरण का प्रमाण देते हैं और दूसरों से प्रश्न करके हम अपने अंदर के संशयों का विनाश करके ज्ञान और बुद्धि को पोषित करते हैं। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन किंकर्तव्यविमूढ़ (Dilemma) होकर युद्ध के लिए अपना गांडीव नहीं उठा रहा था क्योंकि उसे अनेक प्रश्न घेरे हुए थे। वह अपने सारे प्रश्नों को एक-एक करके श्रीकृष्ण के सामने रखता गया और उत्तर मिल जाने पर उसने युद्ध के लिए अपना गांडीव उठा लिया।  
     प्रश्न करना या प्रश्न पूछना आपके विकास का एक सशक्त साधन है। प्रश्न करना इस बात का प्रमाण है कि आपके पास एक उर्वर (Fertile) मस्तिष्क है जिसमें तरह-तरह के प्रश्न उगते हैं। प्रश्नों के उत्तर पाकर हमारा ज्ञान, दृष्टिकोण(Outlook), चिंतन, चरित्र निर्माण, सृजनात्मकता (Creativity) आदि में अपार वृद्धि होती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस पूरे प्राणिजगत में यह गुण केवल मनुष्यों को ही प्राप्त है। आज मानव सभ्यता का जितना भी विकास हुआ है वो सब प्रश्न करने की वजह से ही हुआ है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि मनुष्य केवल दूसरों से ही नहीं अपितु स्वयं से भी प्रश्न करता है और जब वह उन प्रश्नों के उत्तर खोजने निकलता है तो गौतम बुद्ध, आइन्स्टाइन, न्यूटन जैसी प्रतिभाएँ सामने आती हैं।
     इसी संदर्भ में दूसरा महत्त्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि जब किसी में प्रश्न करने का साहस नहीं होता तो इसके दुष्परिणाम के रूप में ये दुनिया अनेक प्रतिभाओं से वंचित रह जाती है। ये उन सभी अभिभावकों (Guardians), बड़े-बुजुर्गों और शिक्षकों का परम धर्म है कि अपने बच्चों एवं छात्रों के प्रश्नों का उत्तर ज़रूर दें। अगर प्रश्न अटपटा भी हो तो अपने धैर्य और बुद्धि का परिचय देते हुए प्रश्नों को सार्थक बनाते हुए उत्तर अवश्य दें। ऐसे होने से ही देश के भावी भविष्य के मस्तिष्क में सवाल करने की अलख जगेगी।   
     एक नौकरीशुदा व्यक्ति अगर खुद से सवाल करे कि उसकी उन्नति क्यों नहीं हो रही है या फिर एक हारा हुआ आदमी सवाल करें कि वह क्यों हार रहा है तो उन्हें निश्चित रूप से लाभदायक जवाब मिलेंगे। क्योंकि प्रश्न करना नए एवं पुख्ता विचारों को जन्म देता है और उन्हीं विचारों के आचरण में आ जाने से सफलता मिलती है।   
     सवाल-जवाब ज्ञानार्जन का सर्वोत्तम साधन है। गीता हो या सत्यार्थ प्रकाश इन दोनों महान कृतियों का आज भी अमर बने रहना इनकी प्रश्नोत्तर शैली के कारण ही संभव हुआ है। शायद सवाल-जवाब की उपयोगिता के कारण ही आज आम आदमी भी सूचना का अधिकार(RTI) अर्थात् सरकार से प्रश्न करके जवाब पा सकता है।
      


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