Vitaan Class – XII Chapter -1 Silver Wedding – Manohar Shyam Joshi सिल्वर वैडिंग मनोहर श्याम जोशी Question Answer


अभ्यास
1. यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों?
2. पाठ में  जो हुआ होगावाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते / सकती हैं?
3.  समहाउ इंप्रापरवाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रांरभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?
4. यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
5. वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं?
6. निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे / कहेंगी और क्यों?
(क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
(ख) पीढ़ी का अंतराल
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
7. अपने घर और विघालय के आसपास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुज़ुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
8. यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क  दीजिए -
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभीकभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों का अपनाना ही उचित है।

1.     यशोधर बाबू बचपन से ही माता-पिता के देहांत हो जाने की वजह से जिम्मेदारियों के बोझ से लद गए थे। वे सदैव पुराने लोगों के बीच रहे, पले, बढ़े अतः वे उन परंपराओं को छोड़ नहीं सकते थे। यशोधर बाबू अपने आदर्श किशनदा से अधिक प्रभावित हैं और आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों और संस्कारों के विरूद्ध हैं। जबकि उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं। वह अपने बच्चों के आधुनिक दृष्टिकोण से प्रभावित हैं। वे बेटी के कहे अनुसार नए कपड़े पहनती हैं और बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती। यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ परिवर्तित होती है, लेकिन यशोधर बाबू अभी भी किशनदा के संस्कारों और परंपराओं से चिपके हुए हैं।
2.     'जो हुआ होगा' वाक्य पाठ में पहली बार तब आता है, जब यशोधर बाबू किशनदा के जाति भाई से उनकी मृत्यु का कारण पूछते हैं। उत्तर में उन्होंने कहा 'जो हुआ होगा' यानी पता नहीं। फिर यशोधरबाबू यही विचार करते हैं कि जिनके बाल-बच्चे ही नहीं होते, वे व्यक्ति अकेलेपन के कारण स्वस्थ दिखने के बाद भी बीमार-से हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। यह भी कारण हो सकता है कि उनकी बिरादरी से घोर उपेक्षा मिली, इस कारण वे दुख से सूख-सूख कर मर गए। किशनदा की मृत्यु के सही कारणों का पता नहीं चल सका। बस यशोधर बाबू यही सोचते रह गए कि किशनदा की मृत्यु कैसे हुई? जिसका उत्तर किसी के पास नहीं था।
3.     यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रांरभ में 'समहाउ इंप्रापर' शब्द का उपयोग तकिया कलाम की तरह करते हैं। उन्हें जो अनुचित लगता है, तब अचानक यह वाक्य कहते हैं-
पाठ में 'समहाउ इंप्रापर' वाक्यांश का प्रयोग निम्नलिखित संदर्भो में हुआ है -
• साधारण पुत्र को असाधारण वेतन मिलने पर  
• स्कूटर की सवारी पर  
• दफ़्तर में सिल्वर वैडिंग  
• डीडीए फ्लैट का पैसा न भरने पर  
• खुशहाली में रिश्तेदारों की उपेक्षा करने पर  
• छोटे साले के ओछेपन पर  
• केक काटने की विदेशी परंपरा पर आदि 
इन संदर्भों  से यह स्पष्ट हो जाता है कि यशोधरा बाबू सिद्धांतवादी हैं। यशोधर बाबू आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों और संस्कारों के विरूद्ध हैं। 
4.     यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मेरे जीवन को दिशा देने में मेरे आदर्श रबिशंकर सिंह की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वे पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद सभी में हमेशा आगे रहते थे।  उन्हें देखकर मुझे भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी। वे समय-समय पर मुझे मार्गदर्शन भी देते रहते थे।
5.     इस पाठ के माध्यम से पीढ़ी के अंतराल का मार्मिक चित्रण किया गया है। आधुनिकता के दौर में, यशोधर बाबू परंपरागत मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं। उनका उसूलपसंद होना दफ्तर एवम घर के लोगों के लिए सरदर्द बन गया था। यशोधर संस्कारों से जुड़ना चाहते हैं और संयुक्त परिवार की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं जबकि उनके बच्चे अपने आप में जीना चाहते हैं।
अतः मेरे मत से पुरानी-पीढ़ी को कुछ आधुनिक होना पड़ेगा और नई-पीढ़ी को परंपराओं और मान्यताओं का ख्याल रखना होगा, तभी सामंजस्य संभव है। 
6.     (ख) पीढ़ी का अंतराल 
आधुनिकता के दौर में, यशोधर बाबूपरंपरागत मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं। उनका उसूलपसंद होना दफ्तर एवं घर के लोगों के लिए सरदर्द बन गया था। यशोधर संस्कारों से जुड़ना चाहते हैं और संयुक्त परिवार की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं जबकि उनके बच्चे अपने आप में जीना चाहते हैं।
सांस्कृतिक संरक्षण के लिए स्वस्थ परंपराओं की सुरक्षा आवश्यक है, किंतु बदलते समय और परिवेश से सामंजस्य की भी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
अतः मेरे मत से पुरानी-पीढ़ी को कुछ आधुनिक होना पड़ेगा और नई-पीढ़ी को परंपराओं और मान्यताओं का ख्याल रखना होगा, तभी सामंजस्य संभव है।
7.     हमारे घर व विद्यालय के आसपास निम्नलिखित बदलाव हो रहें हैं जिन्हें बुज़ुर्ग पसंद नहीं करते - 
• घर से विद्यालय जाने के लिए साइकिलें एवं मोटर का इस्तेमाल। 
• लड़कियाँ-लड़कों का एक साथ पढ़ना और मिलना-जुलना। 
• युवा लड़कों और लड़कियों द्वारा अंग प्रदर्शन करना। 
• देर रात तक पार्टियाँ करना। 
• दिनभर कम्प्यूटर, इन्टरनेट एवं मोबाइल का इस्तेमाल।
बुज़ुर्गों को यह सब अच्छा नहीं लगता क्योंकि जब वे युवा थे, उस समय संचार के साधनों की कमी थी। पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण वे युवावस्था में अपनी भावनाओं को काबू में रखते थे और अधिक जिम्मेदार होते थे। आधुनिक परिवेश के युवा बड़े-बूढ़ों के साथ बहुत कम समय व्यतीत करते हैं इसलिए सोच एवं दृष्टिकोण में अधिक अंतर आ गया है। युवा पीढ़ी की यही नई सोच बुजुर्गों को अच्छी नहीं लगती। 
8.     यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है। 
यशोधर बाबू जैसे लोग साधारणतया किसी न किसी से प्रभावित होते हैं, जैसे यशोधर बाबू किशनदा से। ये परंपरागत ढर्रे पर चलना पसंद करते हैं तथा बदलाव पसंद नहीं करते। अतः समय के साथ ढलने में असफल होते हैं।
मेरे दादाजी भी पुराने विचारों से प्रभावित हैं उन्हें भी नई चीज़ अपनाने में तकलीफ़ होती है। इस कारण वे हमसे दुखी रहते हैं और इससे हमें भी दुख होता है। 


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